महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार को सरकार को निर्देश दिया कि वह एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करके उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के खिलाफ मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की विवादास्पद टिप्पणी की व्यापक जांच करे।सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने जरांगे की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में अशांति फैलाने की साजिश थी। सत्ता पक्ष के सदस्य हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अपनी-अपनी सीट पर खड़े हो गये।इसके बाद नार्वेकर ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी।
जब सदन एक बार समवेत हुआ तो अध्यक्ष ने सरकार को फडणवीस के खिलाफ जरांगे की टिप्पणियों की व्यापक जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया।राज्य के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में रविवार को जरांगे ने आरोप लगाया था कि फडणवीस उनकी हत्या कराने कोशिश कर रहे हैं। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता ने कहा कि वह मुंबई कूच करेंगे और उपमुख्यमंत्री के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
जरांगे ने दावा किया था कि उन्हें सलाइन के जरिये जहर देने की कोशिश की गई थी, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।यह मुद्दा निचले सदन में आशीष शेलार (भाजपा) ने उठाया। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने के लिए उकसाने वाली भाषा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।उन्होंने यह पता लगाने का अनुरोध किया कि जरांगे के इस कृत्य के पीछे किसका हाथ है और किसका उद्देश्य यह कहकर राज्य में ‘अशांति’ पैदा करना था कि महाराष्ट्र को ‘जला दिया जाएगा’।
शेलार ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र को अस्थिर करने और बहादुर एवं अनुशासित माने जाने वाले मराठा समुदाय को बदनाम करने की साजिश रची गयी।भाजपा नेता ने कहा, “हम जरांगे की मांगों का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन फडणवीस के खिलाफ उनकी धमकी भरी टिप्पणियों के आलोचक हैं।”विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने सरकार को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर विस्तृत जांच कराने का निर्देश दिया।फडणवीस ने सदन में कहा कि उन्हें जरांगे से कोई शिकायत नहीं है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईटी जांच करेगी कि वह (जरांगे) किसकी ‘भाषा’ बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जरांगे ने भले ही मेरे खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हों, लेकिन पूरा मराठा समुदाय मेरा समर्थन करता है।”उन्होंने कहा, ‘पता लगाया जाएगा कि मुख्य साजिशकर्ता कौन है। विधायकों के घर जलाना भी सही नहीं है। जांच से पता चल जाएगा कि असली दोषी कौन हैं।’विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि वह जरांगे की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन मुद्दे की जड़ तक जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि (पिछले साल आरक्षण के मुद्दे पर जरांगे के आंदोलन के दौरान) पुलिस बल के इस्तेमाल की जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि सरकार को भड़काऊ टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि सरकार और जरांगे के बीच चर्चा के दौरान विपक्ष कहीं भी नहीं था।थोराट ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विपक्ष के साथ बातचीत नहीं की। उन्होंने कहा, ‘हम हिंसा और उत्तेजक भाषा के इस्तेमाल का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन हमें समझना चाहिए कि हम इस तरह की स्थिति में क्यों आए हैं।’
जरांगे ने सोमवार को घोषणा की कि वह मराठा आरक्षण मुद्दे पर अपना 17 दिन पुराना अनशन वापस ले रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वह तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक कि महाराष्ट्र सरकार उन लोगों के विस्तारित परिवार के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करना शुरू नहीं कर देती, जिनके पास पहले से ही ऐसे दस्तावेज हैं, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके।
राज्य विधानमंडल ने पिछले सप्ताह एक विशेष सत्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत अलग आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया। हालांकि, जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए आरक्षण पर जोर दिया और अपना अनशन जारी रखा था।