मौसम के बदलने के कारण वायरल इंफेक्शन का ख़तरा बना रहता है। मौसम बदलने पर लोगों को सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं। वायरल इंफेक्शन वैसे तो नार्मल होता है लेकिन कभी – कभी यह गम्भीर रूप भी ले लेता हैं। खसरा भी एक बहुत ही गंभीर वायरल इंफेक्शन है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह बीमारी बच्चों को जल्दी नुकशान पहुँचता है। जबसे टीकाकरण होने लगा है तब से ये बीमारी ना के बराबर हो गई है बल्कि एक तरह से ख़त्म हो चुकी है। इसीलिए कई बार लोग खसरे के लक्षणों को ठीक से समझ ही नहीं पाते हैं। यह आज भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है और यह वायरस किसी ना किसी रूप में लोगों को संक्रमित करता है। तो आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से।
जानिए, खसरा आखिर है क्या ?
खसरा एक ऐसी बीमारी है जो वायरस के कारण फैलता है। खसरे का वायरस रोगी के लार, सांस, और बलगम में पाया जाता है। जब खसरे से संक्रमित व्यक्ति खॉंसता या छीकता है तो वायरस उसकी लार और बलगम के साथ हवा में फैल जाते हैं। और कोई नार्मल व्यक्ति इन कणों के संपर्क में आता है तो खसरे का वायरस उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उस व्यक्ति को भी संक्रमित कर देता है।
खसरा बीमारी के लक्षण :-
जैसा कि आपको यह पता होगा कि खसरे का लक्षण शुरू में पता नहीं चल पता है यह संक्रमण होने के कुछ दिनों के बाद ही पता चलता हैं। इसके कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिनके द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति खसरा से संक्रमित हो गया है। तो आइए जानते है खसरे के लक्षणों के बारे में –
तेज बुखार का आना
गले में ख़राश का लगातार बने रहना
बार – बार सूखी खाँसी का आना
स्किन पर लाल धब्बे और चकत्ते बन जाना
नाक का लगातार बहना
गाल के अंदर के हिस्से में नीले सफ़ेद रंग के दानें उभरना।
आँखों का सूज जाना
खसरे के कारण :-
खसरे के निम्नलिखित कारण इस प्रकार है
विटामिन ए की कमी के कारण :-
किसी व्यक्ति के शरीर में यदि विटामिन ए की कमी है तो उसको खसरे के संक्रमण का ख़तरा ज्यादा होता है।
गर्भावस्था के दौरान :-
गर्भावस्था के समय गर्भवती स्त्री के बॉडी में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस दौरान भी खसरे के संक्रमण का ख़तरा बढ़ सकता है।
खसरे का टीका ना लगाने पर :-
जिन लोगो ने खसरे का टीका नहीं लगवाया है उनको और लोगो से ज्यादा खसरे का संक्रमण होने की संभावना रहती है।
छोटे बच्चो में :-
जो कम उम्र के लोग होते है उनमे खसरे का संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है। खसरे का संक्रमण बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों को ज़्यादा प्रभावित करती है। 20 साल तक के लोगों में खसरे के संक्रमण की आशंका बड़े लोगों की अपेक्षा ज़्यादा होती है।
यात्राएं करने से :-
जिन देशों में खसरे के संक्रमण ने लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है वहाँ पर यात्राएं करने से वो संक्रमण एक सामान्य व्यक्ति को भी लगा सकता है।
इम्यून सिस्टम कमज़ोर होने पर :-
अगर किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक छमता कमज़ोर है तो ऐसे में व्यक्ति को बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी खसरे का संक्रमण भी हो सकती है.
डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए :-
अगर किसी व्यक्ति को खसरा हो गया है तो उसे खसरे की जाँच करवानी चाहिए ।अगर खसरे से सम्बंधित लक्षण आपको अपने शरीर में दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
खसरे का इलाज :-
खसरे की बामारी का सबसे अच्छा उपाय है टीकाकरण , इसके द्वारा खसरे के संक्रमण को रोका जा सकता है। बच्चे को नौ महीने की उम्र में पहला खसरे का टीका दिया जाता है। इस टीकाकरण के माध्यम से बच्चे के शरीर में खसरे के संक्रमण से लड़ने के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। सामान्यतः खसरे का कोई इलाज नहीं है ।
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