पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी BJD नेता वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है. लोकसभा में बीजेडी की करारी हार के बाद पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक के सबसे करीबी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने बेहद भावुक अंदाज में इसका ऐलान किया है.
लोकसभा चुनाव के साथ ही ओडिशा में विधानसभा के भी चुनाव हुए. दोनों चुनावों में नवीन पटनायक को करारी हार का सामना करना पड़ा. बीजेडी के लिए रणनीति बनाने में वीके पांडियन की अहम भूमिका मानी जाती है.ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी और BJD नेता वीके पांडियन ने एक्टिव पॉलिटिक्स से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. लोकसभा में BJD की करारी हार के बाद पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक के सबसे ज्यादा करीबी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने बड़े ही भावुक अंदाज में इसका ऐलान किया है. बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल को करारी हार का सामना करना पड़ा है. ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी नवीन पटनायक को तगड़ा झटका लगा है. तकरीबन ढाई दशक में पटनायक को राजनीति में इस तरह की हार का सामना करना पड़ा है.
सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा करते समय बीजद नेता भावुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘अब मैंने एक्टिव पॉलिटिक्स से खुद को अलग करने का फैसला किया है. इस यात्रा में यदि मैंने किन्हीं का दिल दुखाया है तो उसके लिए मैं माफी मांगता हूं. इसके साथ ही मैं उस बात के लिए भी माफी मांगना चाहता हूं कि यदि मेरे द्वारा इस चुनाव प्रचार अभियान में दिए गए नैरेटिव से बीजेडी को किसी तरह का नुकसान पहुंचा हो या पार्टी को उस वजह से हार मिली हो.’
आपको बता दे की तमिलनाडु में जन्मे वीके पांडियन IAS रह चुके हैं. इसके बावजूद उन्होंने ओडिशा की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. पूर्व आईएएस अधिकारी पांडियन की गिनती सर्विस टाइम से ही नवीन पटनायक के करीबियों में होती रही है. वीके पांडियन 2000 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी थे. उन्हें पहली पोस्टिंग साल 2002 में कालाहांडी में मिली थी. वीके पांडियन के नवीन पटनायक के गुडबुक में आने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. वीके पांडियन को गंजाम जिले का कलेक्टर बनाया गया था. गंजाम नवीन पटनायक का गृह जिला भी है. इसके बाद से पांडियन की गिनती पटनायक के विश्वासी अधिकारियों में होने लगी थी.
ओडिशा में इस बार लोकसभा और विधानसभा की चुनावें एक साथ कराई गईं. पहले लोकसभा चुनव की बात करते हैं. ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. बीजेपी ने अप्रत्याशित सफलता हासिल करते हुए 20 सीटों पर जीत हासिल कर सबको चौंका दिया. नवीन पटनायक की पार्टी के खाते में महज 1 सीट गई. विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने कमाल का प्रदर्शन किया. ओडिशा में विधानसभा की कुल 147 सीटें हैं. बीजेपी ने इनमें से 78 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, बीजद के खाते में 51 सीटें गईं. कांग्रेस ने 14 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की.
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