केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज कहा कि देश में पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में तेजी से काम हुआ है।
भारत की संस्कृति के पुनर्जागरण के पुरोधा बने नरेन्द्र मोदी ने विश्व के पटल पर हमारे प्राचीन ज्ञान, विज्ञान, योग, धरोहरों एवं परंपराओं को लाने का काम किया है। उनके प्रयासों के चलते आज विदेश में रह रहे प्रवासी लोग अपनी संस्कृति से न केवल जुड़ाव महसूस करने लगे हैं बल्कि उस पर गर्व करने के साथ उसे आगे बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। मोदी के नेतृत्व में देश में नई सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना जागृत हुई है।
गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्राचीन समय में भारत ज्ञान, विज्ञान का केन्द्र था। आज पिछले दस सालों के कालखंड में इस ज्ञान, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और इसे पुनर्जागृत करने के काम में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। 16 मई, 2014 के लंदन ट्रिब्यून में छपे लेख का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वो दिन देश की दूसरी आजादी के रूप में स्मरण किया जाएगा। देश औपनिवेशिक मानसिकता से आजाद हो कर आज अपनी संस्कृति पर गर्व कर रहा है। देश में विकास और विरासत की दिशा में तेजी से काम हुआ है।
भारत का सांस्कृतिक लोकाचार विश्व के पटल पर दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश का 500 सालों से राम मंदिर बनने का स्वप्न पूरा होने वाला है। औपनिवेशिक मानसिकता से लैस लोगों के इस मंदिर निर्माण में निरंतर अवरोध के बीच प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों से मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त हुआ है। 22 जनवरी को राम लला की मूर्ति स्थापना के बाद यहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में काशी की छटा आज बदल गई है। आज काशी को भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में देखा जा रहा है। इस नगरी में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। बनारस और उसके आसपास के क्षेत्र को आर्थिक रूप से नए पंख लग गए हैं। इसी तरह मां कामख्या, चार धाम यात्रा और केदारनाथ परिसर के साथ कई धार्मिक स्थलों का विकास करने के काम हुआ है।
करतारपुर साहिब, वीर बाल दिवस मनाने के साथ बौद्ध संस्कृति को भी संरक्षण देने का काम मोदी सरकार ने किया है। स्वदेश दर्शन के रूप में 76 सर्किट का निर्माण किया गया है। इसके साथ विदेशों में भी मौजूद मंदिरों के पूर्णोद्धार का काम किया गया है। भारत से चुराई गई ऐतिहासिक धरोहरों को भी वापस लाने काम किया गया है। पिछले दस सालों में 344 धरोहरों को वापस लाया गया है। यूनेस्को की सूची में भी भारत की सांस्कृतिक धमक देखी जा सकती है।