इजराइल-हमास युद्ध के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम के लिए जॉर्डन का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को आयोजित विशेष सत्र में इजराइल और हमास के बीच तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का जोरदार आह्वान किया गया। साथ ही गाजा पट्टी तक सहायता पहुंचाने और नागरिकों की सुरक्षा की मांग की गई। सदन में यह प्रस्ताव तालियों की गड़गड़ाहट के साथ पारित हुआ। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई।
संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 और विरोध में मात्र 14 वोट पड़े। भारत, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन समेत 45 देशों ने इस मतदान प्रक्रिया से खुद को बाहर रखा। प्रस्ताव को सदन में यह कह कर पारित किया गया कि अरब देशों के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक महत्व रखता है, क्योंकि इजराइल ने 75 साल पुराने इतिहास में अपने नागरिकों पर सबसे बर्बर हमास के हमले के जवाब में गाजा में जमीनी कार्रवाई तेज कर दी है।
सुरक्षा परिषद के पिछले दो सप्ताह में चार बार कार्रवाई करने में विफल रहने के बाद महासभा में इस मसले पर मतदान हुआ। प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। प्रस्ताव का उद्देश्य इस युद्ध तथा लोगों के खिलाफ नरसंहार को रोकना एवं गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलिस्तीनी संयुक्त राष्ट्रदूत रियाद मंसूर ने इस प्रस्ताव खुशी जताई है। वहीं, इजराइल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत गिलाद एर्दान ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। वह हमास के हमलों को कब तक सहता रहेगा। ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब कोई वैधता या प्रासंगिकता नहीं रखता। उन्होंने इस प्रस्ताव को हास्यास्पद बताया।