कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने बुधवार को केरल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा पर राज्य में किसानों की स्थिति के प्रति ‘लापरवाह’ होने का आरोप लगाया और विरोध जताते हुए विधानसभा से बहिर्गमन किया।केरल में किसानों की स्थिति पर चर्चा के लिए यूडीएफ विधायकों द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर ने मंजूरी देने से मना कर दिया, जिसके बाद विपक्ष ने बहिर्गमन किया।
राज्य के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने सदन में कहा कि वाम सरकार वास्तव में किसानों की समस्याओं को लेकर चिंतित है और उनकी मदद के लिए लगातार आवश्यक कदम उठा रही है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने यूडीएफ विधायकों द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अनुमति देने से मना कर दिया।
उन्होंने राज्य में किसानों, खासकर नारियल की खेती करने वालों को हो रही समस्याओं के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कृषि नीतियों और आसियान समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने को जिम्मेदार ठहराया।दूसरी ओर यूडीएफ विधायक के मोइदीन ने कहा कि सरकार जो भी कदम उठाने का दावा कर रही है वे केवल कागजों पर हैं, जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया है।
स्थगन प्रस्ताव पेश करने वाले विधायकों में से एक मोइदीन ने आगे तर्क दिया कि राज्य सरकार किसानों से नारियल खरीदने या उत्पादकता बढ़ाने में मदद करने या फिरकि न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने में असमर्थ रही है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में धान की खेती को लेकर भी यही स्थिति है।
मोइदीन की दलीलों का समर्थन करते हुए, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की उपेक्षा और उनके प्रति लापरवाही की गई है। उन्होंने दावा किया कि किसानों के कल्याण के लिए बनाई गई कई योजनाएं और परियोजनाएं अभी भी कागजों पर ही हैं।
सतीसन ने कहा कि राज्य के वायनाड और इडुक्की सहित विभिन्न जिलों के लिए हजारों करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन उनमें से किसी को भी लागू नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने किसानों का 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज माफ किया था।