राजस्थान में कोरोना वायरस के दो मामले मिले, चिकित्सा विभाग को सतर्कता बरतने के निर्देश

देश में कई जगह कोरोना वायरस के नए मामले सामने आने के बाद राज्य में चिकित्सा विभाग को सतर्कता बरतने और एहतियातन आवश्यक तैयारियां करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, जैसलमेर में कोरोना वायरस संक्रमण के दो मामले सामने आए हैं।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बुधवार को यहां उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें उन्होंने कोरोना प्रबंधन के लिए चिकित्सा शिक्षा आयुक्त शिवप्रसाद नकाते की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी गठित करते हुए ‘ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम’ (मामलों की संख्या के अनुसार चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता) तैयार किए जाने के निर्देश दिए हैं, ताकि आवश्यकता होने पर रोगियों को तत्काल आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें।

बैठक में जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि जैसलमेर जिले में कोरोना वायरस संक्रमण के दो मामले सामने आए हैं। उन्होंने बताया, “चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार इससे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। यह वायरस गंभीर प्रकृति का नहीं है, इसलिए दोनों रोगियों को घर में पृथक रहने की सलाह दी गई है।”अधिकारियों ने बैठक का ब्यौरा देते हुए बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड का नया उपस्वरूप ‘जेएन.1’ खतरनाक नहीं है।

अधिकारियों ने बताया, “इस वायरस के इस उपस्वरूप से संक्रमित हुए करीब 90 प्रतिशत रोगियों को अस्पताल में भर्ती किए जाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है और वे घर पर ही पृथकवास में रहते हुए सामान्य उपचार से ठीक हो रहे हैं। इससे घबराने या भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। केवल सावधानी बरतने की जरूरत है।”उन्होंने बताया कि राज्य में इस उपस्वरूप को लेकर फिलहाल चिंता की कोई स्थिति नहीं है। सिंह ने कहा कि नए उपस्वरूप से खतरा नहीं होने के बावजूद प्रदेश में एहतियात के तौर पर कोविड प्रबंधन से जुड़ी सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित की जाएं।

उन्होंने प्रदेश के राजकीय अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों में भी जांच, दवा, बिस्तर, ऑक्सीजन सहित अन्य चिकित्सा सुविधाओं को परखने के लिए 26 दिसंबर को पुन ‘मॉक ड्रिल’ किए जाने के निर्देश दिए।सिंह ने आयुष्मान चिरंजीवी कार्ड की ई-केवाईसी की प्रगति की समीक्षा करते हुए इस काम को 26 जनवरी 2024 तक पूरा करने के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि ई-केवाईसी के लिए जिलों को दैनिक लक्ष्य आवंटित कर निगरानी की जाए एवं खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।