देश में 18वां आम चुनाव यानी लोक सभा चुनाव खत्म हो चुका है. चुनावी नतीजे 4 जून को घोषित हो जायेगा. विधानसभा से लेकर लोक सभा तक कोई भी चुनाव होता है, उसमें सबसे अधिक सुर्खियों में नाम मुख्य चुनाव आयुक्त का रहता है. लेकिन चुनाव आयोग बहुत बड़ी संस्था है. जिसमें बहुत कर्मचारी काम करते हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आना लाजमी है कि आखिर चुनाव आयोग में नौकरी कैसे लगती है. साथ ही यह भी कि चुनाव आयोग के सबसे बड़े अधिकारी मुख्य चुनाव आयुक्त को कितनी सैलरी मिलती है.
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त
सबसे पहले तो यह जान लें कि चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं. नए प्रावधान के मुताबिक चुनाव आयुक्त पद के लिए योग्य उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट एक सर्च कमेटी करती है. जिसकी अध्यक्षता कानूनमंत्री करते हैं. इस कमेटी में दो सदस्य केंद्रीय सचिव होते हैं. यह सर्च कमेटी पांच नाम शॉर्टलिस्ट करके चयन समिति को देती है. इसमें प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और एक विपक्ष के नेता होते हैं. यह समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम तय करती है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन निर्वाचन आयुक्तों का वेतन सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होता है. इनका कार्यकाल 6 साल या 65 साल उम्र सीमा तक होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त आमतौर पर सीनियर आईएएसस अफसर होता है.
इन पदों पर भी होती है बहाली
चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के अलावा स्टेनोग्राफर, डेटा एंट्री ऑपरेटर, एमएटीएस, कार ड्राइवर, लाइब्रेरियन, जूनियर सचिवालय सहायक, रिसर्च असिस्टेंट, कैंटीन स्टाफ जैसे पदों पर भी बहाली होती है. स्टाफ कार ड्राइवर के पद पर सैलरी करीब 20 हजार रुपये महीने मिलती है. जबकि डेटा एंट्री ऑपरेट की सैलरी 25,500-81,100 रुपये है. इसी तरह मल्टी टास्किंग स्टाफ को भी 20-22 हजार रुपये महीने सैलरी मिलती है. इन पदों पर भर्ती कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से सीधे की जाती है. साथ ही डेप्यूटेशन के आधार पर भी भर्तियां होती हैं.
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