हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी की मदद से आप ब्रेन को एक्टिव कर सकते हैं। ये एक तरह की एक्यूप्रेशर थैरेपी है जिसमें कुछ खास बिन्दुओं का संबंध बॉडी के अलग-अलग पॉर्ट से होता है। हम जिस भी प्वॉन्ट को एक्टिव करेंगे, उस प्वॉन्ट से कनेक्टेड पॉर्ट बेहतर तरीके से काम करने लगेगा। इस तकनीक का सीधा कनेक्शन आपके ब्रेन से है और खासकर पिट्यूटरी ग्लैंड। ये ग्लैंड हमारी बॉडी के ज्यादातर सिस्टम को कंट्रोल करता है। पिट्यूटरी ग्लैंड को इसी कारण से मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है। इसलिए अगर पिट्यूटरी ग्लैंड ठीक रहेगा तो हमारा ब्रेन भी ठीक ढंग से काम करेगा।
हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी क्या है?
हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी एक पुरानी तकनीक है जिसका इस्तेमाल शरीर की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है, इस तकनीक में हाथ पर मौजूद खास बिन्दुओं को मसाज या प्रेशर देकर दबाया जाता है ताकि उस बिन्दु से संबंधित बॉडी पार्ट एक्टिव हो जाए और समस्या कम हो जाए
हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी के फायदे
- इस तकनीक से मेमोरी अच्छी होती है।
- लो एनर्जी कम फील कर रहे हैं तो भी ये तकनीक अपना सकते हैं।
- थायराइड या इंफर्टिलिटी है तो ये तकनीक फायदेमंद है।
- फोकस नहीं कर पाते हैं तो भी इस तकनीक को अपना सकते हैं।
- हर समय थकावट रहती है तो आप इस तकनीक को अपना सकते हैं।
- चिड़चिड़ेपन दूर करने के लिए आप इस तकनीक को अपना सकते हैं।
- कुछ काम करने का मन नहीं करता है तो आप इस तकनीक को अपना सकते हैं।
ब्रेन को कैसे एक्टिव करेगा हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी
- हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी के जरिए हमें उस प्वॉइंट को एक्टिव करना है जिसका संबंध हमारे ब्रेन से यानी पिट्यूटरी ग्लैंड से है।
- हमें अपने एक हाथ का अंगूठा लेना है, और उसे ऊपर छत की ओर सीधा रखें।
- दूसरे हाथ की इंडेक्स फिंगर और अंगूठे से हमें पहले हाथ के अंगूठे को आगे और पीछे से प्रेस करना है।
- आपको लगातार प्रेस नहीं करना है, प्रेस करें और छोड़ दें फिर दोबारा करें।
- आप जितना तेज प्रेस कर सकते हैं उतना तेज प्रेस करें फिर छोड़ दें।
- आपको इसे 20 सैकेंड तक प्रेस करना है।
- उसके बाद साइड से भी आपको इसी तरह से लगातार प्रेस करना है, इस बार गैप नहीं देना है।
हैंड रिफ्लेक्सोलॉजी प्रक्रिया को करने के बाद कैसा महसूस होगा?
अलग-अलग लोगों में इसके अलग-अलग प्रभाव देखने को मिल सकते हैं जैसे-
- जब आप इस प्वॉइंट को प्रेस करेंगे तो आपका दिमाग एक्टिव हो रहा होगा
- आप पहले से ज्यादा फोकस्ड फील करेंगे आप कुछ भूल गए हैं तो मेमोरी तेज चलेगी
- ब्रीदिंग पैटर्न में सुधार महसूस होगा
- साइनिसिस में प्रेशर कम होगा
- ब्रेन में आपको पहले से ज्यादा एनर्जी महसूस होगी
- आपको तनाव कम होता हुआ महसूस होगा
- चिड़चिड़ापन या घबराहट कम होती महसूस हो सकती है
इस तकनीक का असर एक बार में नहीं आता
इस तकनीक को आप रोजाना अपनाएं, हो सकता है कि शुरूआत में आपको किसी तरह का कोई बदलाव महसूस न हो पर वो इसलिए होता है क्योंकि शरीर इतना जल्दी रिस्पांड नहीं करता है पर इस तकनीक को बार-बार करने से आपकी बॉडी रिस्पांड करना शुरू कर देगी। इस तकनीक पर कई रिसर्च हुई हैं जिसके बाद डॉक्टर ये बताते हैं कि करीब 90 प्रतिशत लोगों को इस तकनीक से फायदा होता है।
इस तकनीक को कितनी बार रिपीट करना है?
ये तकनीक आप केवल एक से डेढ़ मिनट में पूरी कर सकते हैं। आप इसे कहीं पर भी कर सकते हैं चाहे घर हो या ऑफिस या जब आप आराम कर रहे हों तब भी आप इस तकनीक को प्रैक्टिस कर सकते हैं।
आप दिन में दो से तीन बार इस तकनीक को अपनाइए जिसके बाद आपको खुद में फर्क महसूस होगा।
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