आंतों में मल जमा होने पर दिखते हैं ये 5 लक्षण, जानें इसके कारण और बचाव के उपाय भी

आंतों में मल क्यों जमा हो जाता है? आंत्र रुकावट एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थिति है। इसमें पचा हुआ भोजन छोटी या बड़ी आंत से नहीं गुजर पाता है। यह एक सामान्य लेकिन गंभीर स्थिति है. आंत्र रुकावट का कारण उम्र, जीवनशैली या पेट की सर्जरी के इतिहास पर निर्भर करता है। बच्चों में आंतों में रुकावट का सामान्य कारण आंतों में जन्मजात विकृतियां हैं। इसी विषय में विस्तार से जानते है.

आंतों में मल जमने के लक्षण 

  • 1.पेट में दर्द
  • 2.मतली और उल्टी
  • 3.थकान और कमजोरी
  • 4.मल त्याग के दौरान दर्द
  • 5.मल त्याग में परेशान आना

आंतों में मल जमने के कारण
आंतों में मल जमना यानी आंतों में रुकावट पैदा होना आपकी उम्र पर निर्भर कर सकता है। साथ ही जिन लोगों को पेट से संबंधित समस्याएंहोती हैं, उनमें भी आंतों में रुकावट की समस्या देखने को मिल सकती है। चलिए जानते हैं आंतों में मल जमने के कारण-

  • वयस्कों में पिछली सर्जरी, हर्निया, दुर्दमता और सख्ती के कारण आंतों में रुकावट पैदा हो सकती है।
  • बच्चों में आंतों में रुकावट का सामान्य कारण आंतों में जन्मजात विकृतियां हैं।
  • जो लोग अधिक फास्ट फूड, जंक फूड खाते हैं, उनमें भी आंतों में रुकावट पैदा हो सकती है। फास्ट फूड में फाइबर बिल्कुल नहीं होता है, जो आंतों में चिपक जाता है। लंबे समय तक बाहर नहीं निकलता है।
  • डाइट में फाइबर की कमी भी आंतों में मल चिपकने का एक कारण हो सकता है। दरअसल, आंतों की सफाई के लिए फाइबर से भरपूर डाइट लेना जरूरी होता है। फाइबर आंतों की सफाई करता है, मल त्याग को आसान बनाता है।
  • आंतों को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करना भी जरूरी होता है। जो लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहते हैं, उनमें अक्सर आंतों में मल जमने की शिकायत रहती है। व्यायाम करने से आंतों की सफाई अच्छे से होती है।
  • आंतों को स्वस्थ रखने के लिए पानी पीना भी जरूरी होता है। जो लोग पानी पीते हैं, उन्हें मल त्याग में परेशानी नहीं आती है जबकि पानी न पीने वाले लोगों के आंतों में मल चिपक जाता है।

आंतों में मल जमने के लिए बचाव के उपाय

आंतों की रुकावट को चिकित्सा आपात स्थिति में से एक माना जाता है। इसलिए रोगी को अपने लक्षणों के बारे में सतर्क रहना चाहिए और इन लक्षणों के विकसित होते ही डॉक्टर से चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए। कुछ जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

  • लिक्विड डाइट लेना। दिनभर में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। साथ ही अपनी डाइट में फ्रूट जूस, वेजिटेबल जूस भी शामिल करें। नारियल पानी पीना भी अच्छा ऑप्शन है।
  • अपनी डाइट में हाई फाइबर फूड्स को शामिल करें। फाइबर आंतों के माध्यम से मल के प्रभावी मार्ग में मदद करता है। साथ ही मल त्याग की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है।
  • फास्ट फूड, जंक फूड से दूरी बनाकर रखें। तला-भुना खाने से भी परहेज करें। इससे पेट में जलन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

पिछले पेट की सर्जरी वाले मरीजों को डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। अगर आपको लंबे समय तक पेट दर्द, कब्ज बना हो तो डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।

यह भी पढ़ें:

वज्रासन का अभ्यास करने से इन 5 बीमारियों में मिलता है बड़ा आराम, जानें तरीका और सावधानियां