क्या आपको सांस लेने में कठिनाई या सीने में जकड़न का अनुभव हो रहा है? यदि हाँ, तो आप अस्थमा से पीड़ित हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी श्वास नलिकाएं संकीर्ण और सूज जाती हैं और नाक में अतिरिक्त बलगम उत्पन्न होता है। अस्थमा के कारण आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं क्योंकि इसकी गंभीरता हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है।
अस्थमा की पहचान खांसी, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ के कारण सोने में दिक्कत आदि जैसे लक्षणों से की जा सकती है। हालांकि इसका सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्यावरण और जेनेटिक कारक का संयोजन इसमें अहम भूमिका अदा करता है। कुछ जोखिम कारक आपमें अस्थमा की स्थिति को विकसित करने की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जैसे एलर्जी की स्थिति, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में आने, मोटापा चढ़ना, रासायनिक या विनिर्माण उद्योग में काम करना आदि। अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने के चिकित्सा और गैर-चिकित्सय तरीके उपलब्ध हैं और हम आपको ऐसे कुछ जरूरी तेलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अस्थमा अटैक को रोकने में मदद कर सकते हैं।
नीलगिरी का तेल
नीलगिरी का तेल एक ऐसा महत्वपर्ण तेल है, जो सांस लेने वाले मार्ग को खोलने और सांस संबंधी बाधाओं में सुधार करने में मदद कर सकता है।
पुदीना का तेल
यूरोपियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, एल-मेंथॉल नाम के सक्रिय तत्व की मौजूदगी के कारण पुदीने का तेल सूजन व जलन से लड़ने में मदद कर सकता है और सांस संबंधी अस्थमा के लक्षणों से राहत प्रदान कर सकता है।
अजवायन का तेल
अपने एंटीसेप्टिक गुणों के कारण अजवायन का तेल आपके फेफड़ों को साफ कर सकता है और सांस संबंधी गतिविधियों में सुधार करता है।
अदरक का तेल
अदरक का तेल सांस संबंधी वायुमार्ग में आ रही बाधाओं को दूर कर सकता है और सूजन के खिलाफ लड़ने में मदद करता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।
लैवेंडर का तेल
लैवेंडर का तेल एलर्जी से होने वाले संक्रमण को दूर करने में मदद करता है और बलगाम के उत्पादन को कम करता है, जिससे आपको सांस लेते वक्त किसी प्रकार की बाधा नहीं पहुंचती।
अस्थमा अटैक को बढ़ाने वाले कारक
- पराग।
- धूल के कण।
- ठंडी हवा।
- धुआं।
- शारीरिक गतिविधि।
- तनाव।
- गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग।