प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को रामकृष्ण मिशन एवं मठ के अध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रखर व्यक्तित्व स्वामी स्मरणानंद का समाधिस्थ होना व्यक्तिगत क्षति जैसा है।
प्रधानमंत्री ने अपने एक भावपूर्ण लेख में कहा कि लोकसभा चुनाव के महापर्व की भागदौड़ के बीच एक ऐसी खबर आई, जिसने मन-मस्तिष्क में कुछ पल के लिए एक ठहराव सा ला दिया। कुछ वर्ष पहले स्वामी आत्मास्थानंद का महाप्रयाण और अब स्वामी स्मरणानंद का अनंत यात्रा पर प्रस्थान कितने ही लोगों को शोक संतप्त कर गया है। मेरा मन भी करोड़ों भक्तों, संत जनों और रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अनुयायियों सा ही दुखी है। उल्लेखनीय है कि स्वामी स्मरणानंद का मंगलवार रात 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
प्रधानमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में अपनी कोलकाता यात्रा को भी याद किया, जहां उन्होंने स्वामी स्मरणानंद से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री ने लिखा कि स्वामी आत्मास्थानंद की तरह ही स्वामी स्मरणानंद ने अपना पूरा जीवन आचार्य रामकृष्ण परमहंस, माता शारदा और स्वामी विवेकानंद के विचारों के वैश्विक प्रसार को समर्पित किया। ये लेख लिखते समय मेरे मन में उनसे हुई मुलाकातें, उनसे हुईं बातें, वो स्मृतियां जीवंत हो रहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने लिखा कि रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ के साथ उनका आत्मीय संबंध रहा है। उन्होंने लिखा कि स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानन्द जी का जीवन रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च’ का अमिट उदाहरण है।उन्होंने लिखा कि भारत की विकास यात्रा के अनेक बिंदुओं पर हमारी मातृभूमि को स्वामी आत्मास्थानंद और स्वामी स्मरणानंद जैसे अनेक संत महात्माओं का आशीर्वाद मिला है, जिन्होंने हमें सामाजिक परिवर्तन की नई चेतना दी है। इन संतों ने हमें एक साथ होकर समाज के हित के लिए काम करने की दीक्षा दी है। ये सिद्धांत अब तक शाश्वत हैं और आने वाले कालखंड में यही विचार विकसित भारत और अमृत काल की संकल्प शक्ति बनेंगे।
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