करीब 500 वर्षों तक सनातन धर्मालंबियों के धैर्य,संयम और तप की परीक्षा लेने के बाद सूर्यवंशी रघुकुल नंदन भगवान श्रीराम पौष मास की द्वादिशी को अभिजीत मुहुर्त में अपने नये मंदिर में पधारे जिनका सत्कार मंगल ध्वनि और भीगी पलकों से देश दुनिया में फैले करोड़ों श्रद्धालुओं ने किया।
श्रीरामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर की छटा देखते ही बनती थी जब दोनो हाथों में चांदी का छत्र लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया और वैदिक आचार्य सुनील शास्त्री की अगुवाई में 121 प्रकांड विद्वानो ने उनसे संजीवनी योग में मंत्रोच्चार के बीच श्याम वर्ण रामलला की किशोरावस्था प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को पूर्ण कराया। अभिजीत मुहुर्त दोपहर 12 बजकर 29 मिनट से शुरु होकर 84 सेकेंड तक का था जिसके पूरा होने के साथ ही मंदिर प्रांगढ़ जय श्रीराम के उदघोष से गूंज उठा और विभिन्न वाद्ययंत्रों से बधाई गीत के मधुर सुरों ने वातावरण को भक्तिमय मिठास घोल दी। इसके साथ ही आसमान से मंदिर प्रांगढ में पुष्प वर्षा की जाने लगी।
श्रीरामलला के बाल विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान 1949 से पूजित रामलला की प्रतिमाओ का पूजन श्री मोदी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच किया। गर्भ गृह में श्री मोदी के साथ राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे वहीं इस दिव्य क्षण का साक्षी बनने मंदिर प्रांगढ़ में कई अजीम हस्तियां उपस्थति थीं।
अयोध्या नगरी पिछले तीन दिनो से कोहरे और भयंकर शीतलहर की चपेट में थी मगर आज प्राण प्रतिष्ठा समारोह से ठीक पहले सूर्यदेव ने बादलों की ओट से झांक कर प्रभु श्रीराम के दर्शन किये जबकि बाद में चटक धूप ने सूर्यवंशी राजा राम का स्वागत नये भवन में किया। इससे पहले श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण में लगे शिल्पकारों के प्रति आभार व्यक्त किया और मंदिर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सहयोग एवं उपहार देने वाली संस्थाओं और महानुभावों के प्रति कृतज्ञता का इजहार किया।