उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट पर अदालत का समय बर्बाद करने के एवज में गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के खाते में तीन लाख रुपए जमा करने का आदेश देते हुए मंगलवार को उनकी तीन याचिकाएं खारिज कर दीं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने भट्ट के एक ही मसले पर बार-बार शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाएं दायर करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अदालत का समय बर्बाद करने पर यह आदेश पारित किया।
पीठ ने उनकी तीन याचिकाओं पर एक-एक लाख रुपए (अदालत का समय बर्बाद करने के एवज में) देने का आदेश दिया।यह मामला नशीले पदार्थों को अवैध तरीके से रखने का गलत आरोप लगाते हुए एक वकील को कथित तौर पर फंसाने के आरोप से जुड़ा हुआ है।
वर्ष 2018 से जेल में बंद भट्ट के खिलाफ इस मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई को किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की उनकी गुहार उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का बार बार दरवाजा खटखटा था।