प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय को भारत के जीवंत लोकतंत्र को निरंतर सशक्त बनाने और संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करने का लगातार प्रयास करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि केंद्र सरकार समाज के हर तबके तक सुलभ तरीके से न्याय पहुंचाने के लक्ष्य के तहत शीर्ष अदालत के साथ-साथ अन्य न्यायालयों में ढांचागत आधुनिक सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में हर संभव मदद करेगी।
श्री मोदी ने उच्चतम न्यायालय के हीरक जयंती के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “भारत के संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों वाले स्वतंत्र भारत का स्वप्न देखा था। भारत के उच्चतम न्यायालय ने इन सिद्धांतों के संरक्षण का निरंतर प्रयास किया है।”
श्री मोदी ने कहा, “अभिव्यक्ति की आजादी हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हो, सामाजिक न्याय, सर्वोच्च न्यायालय ने भारत की जीवंत लोकतंत्र को निरंतर सशक्त किया।”प्रधानमंत्री ने सशक्त न्याय व्यवस्था को विकसित भारत का आधार बताते हुए कहा कि न्यायालयों में आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अन्य ढांचागत आधुनिक सुविधाएं बढ़ाना उनकी सरकार की प्राथमिकता रही है। इसी दिशा में पिछले कुछ वर्षों में 7000 करोड़ से अधिक की राशि दी गई।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह 800 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी मंत्रिमंडल ने दी। इस राशि से उच्चतम न्यायालय की सुविधाओं के विस्तार करने में खासी मदद मिलेगी।प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘इज ऑफ जस्टिस’ को ध्यान में रखते हुए ई-कोर्ट के लिए उपलब्ध धनराशि लगातार बढ़ाई जा रही है। पिछली स्वीकृत परियोजना के मुकाबले चार गुना राशि बढ़ाई गई है।
श्री मोदी ने न्यायिक व्यवस्था को आधुनिक बनाने के प्रयासों का जिक्र करते हुए अदालतों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल बढ़ने पर खुशी व्यक्त की और डिजिटल सुविधाएं, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिक्र करते हुए कहा कि इससे आम लोगों तक न्याय की पहुंच आसान होगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी की मदद से कानूनी कार्यवाहियों को आसान भाषा में लिखने और लोगों तक पहुंचने को सुखद बताया।
उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के अलावा के अन्य अदालत में भी जल्दी ही लोगों को प्रौद्योगिकी का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका समेत देश की सभी संस्थाएं अगले 25 वर्षों में बदलाव के लक्ष्य के साथ काम कर रही है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “भारत की आज की आर्थिक नीतियां कल के उज्जवल भविष्य की नींव साबित होंगी। पूरी दुनिया की नजर भारत पर है और उसका भरोसा बढ़ रहा है। हमें इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।”प्रधानमंत्री ने कहा, “इस वर्ष भारत के संविधान के 75 साल पूरे होने और उच्चतम न्यायालय की स्थापना के 75वें वर्ष शुभारंभ हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर सभी को शुभकामनाएं देता हूं।”
इस अवसर पर उन्होंने डिजिटल ‘सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट’ (डिजी एससीआर), ‘डिजिटल कोर्ट 2.0’ और उच्चतम न्यायालय की नई वेबसाइट का उद्घाटन किया।उच्चतम न्यायालय सभागार में आयोजित समारोह को न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, शीर्ष न्यायालय के अन्य न्यायाधीश, केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदेश सी अग्रवाल ने भी संबोधित किया।
डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (एससीआर) देश के नागरिकों को मुफ्त और इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को उपलब्ध कराएगी। डिजिटल एससीआर की मुख्य विशेषता यह है कि 1950 के बाद से 36,308 मामलों को कवर करने वाली सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट के सभी 519 खंड डिजिटल प्रारूप में उपयोगकर्ता के अनुकूल लोगों को उपलब्ध होंगे।
डिजिटल कोर्ट 2.0 अनुप्रयोग जिला अदालतों के न्यायाधीशों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में अदालती दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत एक हालिया पहल है। इसे वास्तविक समय के आधार पर भाषण को मूल पाठ में बदलने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग के साथ जोड़ा गया है।शीर्ष अदालत की नई वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी में प्रारूप में होगी और इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस के साथ फिर से डिजाइन किया गया है।