राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को आरोप लगाया कि ‘तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादी और जागरुक तत्व’ देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करने के लिए मीडिया तथा शिक्षा जगत में अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं।
नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने ‘तथाकथित सांस्कृतिक मार्क्सवादियों और जागरुक तत्वों’ को देश की शिक्षा एवं संस्कृति को बरबाद करने के लिए मीडिया तथा शिक्षा जगत में अपने प्रभाव का दुरुपयोग करने वाली स्वार्थी, भेदभावपूर्ण व धोखेबाज ताकतों के रूप में परिभाषित किया।
उन्होंने कहा कि ये विनाशकारी ताकतें खुद को ”जागृत” बताती हैं और कुछ बड़े लक्ष्यों के लिए काम करने का दावा करती हैं, लेकिन उनका असली मकसद विश्व की व्यवस्था को बाधित करना है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “ये स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों को साधने की कोशिश में सामाजिक एकता को बाधित करने तथा संघर्ष को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं। वे तरह-तरह के चोगे पहनती हैं। उनमें से कुछ खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जागृत कहती हैं।”
भागवत ने कहा कि सांस्कृतिक मार्क्सवादी अराजकता को पुरस्कृत करते हैं, बढ़ावा देते हैं और फैलाते हैं।उन्होंने कहा, ”वे मीडिया और शिक्षा जगत पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं। साथ ही शिक्षा, संस्कृति, राजनीति और सामाजिक वातावरण को भ्रम, अराजकता और भ्रष्टाचार में डुबो देते हैं।”