केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि एम्स दिल्ली में बैक्टीरिया से संबंधित सात मामले सामने आये, लेकिन हाल ही में चीन सहित दुनिया के कुछ हिस्सों में बच्चों में पाये गए श्वसन संक्रमण के मामलों से उनका कोई संबंध नहीं है।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में किये जा रहे एक अध्ययन के तहत छह महीने की अवधि (अप्रैल से सितंबर) के दौरान सात मामलों का पता चला और ”चिंता का कोई कारण नहीं है।”
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”एक राष्ट्रीय दैनिक की एक हालिया खबर में दावा किया गया कि एम्स दिल्ली में बैक्टीरिया से संबंधित सात मामले सामने आए हैं जो चीन में निमोनिया के मामलों में हाल में हुई वृद्धि से संबंधित हैं। यह समाचार तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह भ्रामक जानकारी प्रदान करता है।”इसमें कहा गया है, ”यह स्पष्ट किया जाता है कि इन सात मामलों का चीन सहित दुनिया के कुछ हिस्सों में हाल ही में बच्चों में श्वसन संक्रमण के मामलों में हुई वृद्धि से कोई संबंध नहीं है।”
इस वर्ष अब तक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विभिन्न श्वसन रोगाणु निगरानी के तहत एम्स दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जांच किए गए 611 नमूनों में से किसी में भी माइकोप्लाज्मा निमोनिया का पता नहीं चला है, जिसमें मुख्य रूप से गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) शामिल थी।माइकोप्लाज्मा निमोनिया ऐसे सभी संक्रमणों में से लगभग 15-30 प्रतिशत का कारण है।बयान में कहा गया, ”भारत के किसी भी हिस्से से इस तरह की वृद्धि की सूचना नहीं मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में है और स्थिति पर नजर रखे हुए है।”