जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक में विवाद निपटान सुधार, कृषि, मत्स्य पालन सब्सिडी और ई-वाणिज्य व्यापार पर सीमा शुल्क पर रोक जैसे मुद्दे उठाए गए।
यह बैठक 24 अक्टूबर को सम्पन्न हुई। भारत से वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के सारांश के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों द्वारा जिनेवामें विवाद निपटान (डीएस) सुधार पर जारी अनौपचारिक प्रक्रिया का पुरजोर समर्थन किया। यह सारांश डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक न्गोजी ओकोन्जो-इवेला और बोत्सवाना से जनरल काउंसिल की वर्तमान प्रमुख अथालिया लेसिबा मोलोकोम्मे द्वारा तैयार किया गया।
सारांश के अनुसार, विवाद निपटान सुधार के लिए अपना राजनीतिक समर्थन व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल कुछ करने की आवश्यकता और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सभी सदस्य देशों के विवाद निपटान हितों को ध्यान में रखने पर जोर दिया।
वैश्विक निर्यात तथा आयात के लिए मानदंड तैयार करने के अलावा जिनेवा स्थित 164 सदस्यीय बहुपक्षीय निकाय सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों का निपटारा करता है।कृषि व खाद्य सुरक्षा पर सारांश में कहा गया कि कई अधिकारियों ने कृषि वार्ता में प्रगति करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसमें खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक भंडारण, घरेलू समर्थन, बाजार पहुंच और विशेष सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।
भारत सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे के स्थायी समाधान तलाशने पर जोर दे रहा है क्योंकि यह विकासशील देशों में लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।मत्स्य पालन सब्सिडी पर सारांश में कहा गया कि अधिकारियों ने वार्ता के दूसरे चरण को सम्पन्न करने और मत्स्य पालन सब्सिडी पर समझौते के पहले चरण को लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
साथ ही सारांश में कहा गया, ‘‘सभी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए राजनीतिक मार्गदर्शन के अनुरूप एमसी13 में ठोस परिणाम हासिल करने के मकसद से विवाद निपटान सुधार पर जारी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।”यह 13वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) 26 से 29 फरवरी को अबू धाबी में आयोजित किया जाएगा। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन विश्व व्यापार संगठन का सर्वोच्च फैसले करने वाला निकाय है।