दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि राशन कार्ड विशेष रूप से जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत आवश्यक सामग्री प्राप्त करने के लिए जारी किया जाता है और इसे पता या आवास का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने क्षेत्र के पुनर्विकास के बाद पुनर्वास योजना के तहत वैकल्पिक आवास की मांग करने वाले कठपुतली कॉलोनी के पूर्व निवासियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि योजना के तहत लाभ का दावा करने के लिए अनिवार्य दस्तावेज के रूप में राशन कार्ड की आवश्यकता मनमानी और अवैध है।
अदालत ने हाल में एक आदेश में कहा, ”राशन कार्ड की परिभाषा के अनुसार इसे जारी करने का प्रयोजन यह है कि इसका लक्ष्य राशन दुकानों के माध्यम से आवश्यक खाद्य पदार्थ वितरित करना है। इसलिए यह किसी राशन कार्ड धारक के लिए आवास का पहचान पत्र नहीं हो सकता।” उसने कहा, ”राशन कार्ड जारी करने वाले प्राधिकार ने ऐसी कोई प्रणाली नहीं बनाई है जो सुनिश्चित करे कि राशन कार्ड धारक उस पर अंकित पते पर ही रहता है।”