उत्तर और दक्षिण भारत के बीच महासेतु बनेगा रामोत्सव, रामचरण पादुका यात्रा निकलेगी

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम के मंदिर का उद्धाटन होने जा रहा है। इस समारोह के स्वर्णिम पलों को इतिहास के पन्नों पर दर्ज कराने के लिए योगी सरकार कई प्रकार के आयोजन में जुटी है।सरकार की ओर से श्रीराम मंदिर उद्धाटन से पहले पूरे देश को राममय करने की तैयारी भी है। इसमें रामचरण पादुका यात्रा निकालने के लिए वृहद स्तर पर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। इस दौरान सांस्कृतिक झांकियों का भी आयोजन किया जाएगा। इसके लिए योगी सरकार डेढ़ करोड़ की धनराशि खर्च करेगी। इसके अलावा कई और विश्व रिकार्ड भी बनाने की तैयारी है।

सांस्कृतिक विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि श्रीराम के भव्य मंदिर के उद्धाटन से पहले उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक पूरे देश को एकसूत्र में बांधते हुए रामचरण पादुका यात्रा निकलेगी। यह यात्रा राम वनगमन पथ से गुजरती हुई पूरे देश में निकाली जाएगी।यात्रा के दौरान राम वनगमन पथ के विभिन्न पड़ावों जैसे श्रंगवेरपुर, चित्रकूट आदि में भजन, कीर्तन, रामायण पाठ के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सांस्कृतिक झांकियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रभु श्रीराम के आदर्शों की झलकियां देखने को मिलेगी ताकि देशवासी उनके आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन को सफल बना सकें।

वहीं, प्रदेश के 826 नगर निकायों में विभिन्न संकीर्तन मंडली प्रतिदिन संकीर्तन का आयोजन करेंगे। इसके लिए नगर विकास विभाग संकीर्तन मंडलियों की सूची और रूट तय करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर रहा है। यह आयोजन प्रदेश के रामायण परंपरा से जुड़े हुए मंदिरों, स्थलों एवं हनुमान मंदिरों में मकर संक्रांति से लेकर राम मंदिर उद्धाटन तक लगातार भजनों, सुंदरकांड और अखंड रामायण का पाठ किया जाएगा।

इसके लिए योगी सरकार 50 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस दौरान 1111 शंखों के नाद से विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है। इसके लिए उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) की मदद ली जाएगी।इसके अलावा शौर्यगाथा कार्यक्रम के तहत बालिकाओं एवं महिलाओं द्वारा तलवार रास कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 2,500 महिलाएं प्रतिभाग कर विश्व रिकार्ड बनाएंगी। यह कार्यक्रम रामकथा पार्क अयोध्या में आयोजित किया जाएगा।

पर्यटन एवं सांस्कृतिक प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि रामचरित मानस एक महाकाव्य है। इससे जुड़े हुए प्रसंग आज भी प्रासंगिक है। कलयुग में जीवन में एक द्वंद उत्पन्न हो गया है, जीवन मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने के लिए जन जागरण बहुत जरूरी है। उसके लिए सांस्कृतिक आयोजन और विधाएं सशक्त माध्यम हैं। उसी कड़ी में सभी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।