राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा है कि अक्सर ”भारतीय राजनीति के मौसम विज्ञानी” कहे जाने वाले लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान को इस बात का पता था कि बदलाव के लिए सत्ता के पक्ष में बने रहना महत्वपूर्ण है।
हरिवंश ने मंगलवार को पत्रकार शोभना के नायर की किताब ”रामविलास पासवान: द वेदरवेन ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स” के विमोचन के मौके पर कहा कि सत्ता से बाहर होने के नतीजों को समझने के लिए पासवान के सामने पर्याप्त उदाहरण थे।उन्होंने कहा, ”जब हम रामविलास पासवान के बारे में बात करते हैं, तो उन्हें अक्सर भारतीय राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा जाता है। मैं इससे असहमत हूं। जहां तक मैं उन्हें जानता हूं, वह (बीआर) आंबेडकर और कांशीराम की परंपरा के नेता थे।”
हरिवंश ने कहा कि पासवान के सामने कांशीराम का उदाहरण है।जद (यू) नेता हरिवंश ने कहा, ”रामविलास (पासवान) ने इस बात को समझा था कि वे जिस जाति से आते हैं, वे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं हैं। बिहार में एक दलित राजनीतिज्ञ एवं कट्टर गांधीवादी, भोला पासवान शास्त्री तीन बार मुख्यमंत्री बने और उन्हें हटा दिया गया… बाबू जगजीवन राम, एक सीमा के बाद, अपनी क्षमता का कितना इस्तेमाल कर सकते थे?”
उन्होंने कहा कि पासवान जानते थे कि बदलाव लाने के लिए उन्हें सत्ता के पक्ष में रहना होगा।इस मौके पर जद (यू) के पूर्व नेता पवन वर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बिना उन पर कटाक्ष किया और कहा कि ”भारतीय राजनीति का मौसम विज्ञानी” होने का खिताब अब बिहार के एक और नेता के पास है।वर्मा ने कहा कि आज राजनीतिक रूप से सही निर्णय लेने की कला एक उत्कृष्ट कला है, जिसका विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि सत्ता में बने रहने के आकर्षण के सामने पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद अब इतने मजबूत नहीं रह गये हैं।