आम वायरल की तरह ही होता है निमोनिया, जानें इसके मुख्य लक्षण और बचाव के तरीके

निमोनिया होने पर सबसे ज्यादा प्रभाव फेफडों पर पड़ता है और उसमें सूजन आ जाती है। निमोनिया फेफड़ों में असाधारण तौर पर सूजन होने के कारण होता है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में पानी भी भर जाता है। निमोनिया का आम कारण बैक्टीरिया, वायरस ही हैं। निमोनिया होने पर व्यक्ति को कई तरह के लक्षण नजर आते हैं और आप कुछ आसान उपायों के जरिए इससे खुद का बचाव कर सकते हैं।

वैसे तो निमोनिया कई कारणों से हो सकता है। लेकिन इसका मुख्य कारण बैक्टीरिया है जिसके कारण ये किसी को भी अपना शिकार बना सकता है। आमतौर पर जो लोग फ्लू वायरस और किसी दूसरे रोग से संक्रमित होते हैं, वे इस बीमारी से आसानी से संक्रमित हो जाते हैं। कुछ मामलों में निमोनिया के कीटाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाते हैं, क्योंकि यह बीमारी हवा से फैलती है। अपने हाथों को धोना, अपने फ्लू का टीका सही समय पर लगवाना बहुत जरूरी होता है।

लक्षण

  • बलगम या खून के साथ खांसी होना।
  • तेज बुखार रहना।
  • ज्यादा पसीना आना।
  • आम मौसम में भी ठंड लगना।
  • सांस लेने में परेशानी होना। म
  • उल्टी।
  • छाती में दर्द रहना।
  • घबराहट।
  • जल्दी थकान होना।

हल्दी हमारे सेहत के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। ये हमारे शरीर से बैक्टीरियों को खत्म करने और हमे लंबे समय तक स्वस्थ रखने का काम करती है। निमोनिया बुखार होने पर छाती में रेशा जमा हो जाता है और सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। ऐसे में आप हल्दी का सहारा ले सकते हैं। हल्दी के साथ काली मिर्च, मेथी दाना और अदरक का पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें और रोजाना इसका सेवन करें।

अदरक- निमोनिया को जल्द ठीक करने के लिए अदरक काफी कारगर माना जाता है। आप रोजाना अदरक के रस का सेवन करने से भी फायदा होता है। इसके अलावा आप अदरक के टुकड़े को चूस भी सकते हैं या फिर अदरक का काढ़ा बना कर इसका सेवन कर सकते हैं।

शहद- खांसी होने पर शहद आपको काफी राहत दे सकता है। ऐसे में निमोनिया होने पर गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीने से फायदा होता है।

मेथी के बीज- मेथी के बीज में म्‍यूको‍लिटिक गुण होते हैं, जो छाती में जमने वाली बलगम को पतला करने में मदद करते हैं। इसलिए मेथी का सेवन करने से बंद छाती खुल जाती है। मेथी के सेवन से पसीना आता है, जिससे बुखार कम होता है और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।

भाप लें- भाप लेने से संक्रमण कम होता है और साथ ही आपके सांस लेने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाप से खांसी कम होती है और छाती की अकड़न भी कम होती है।

लहसुन- लहसुन कुदरती रूप से बैक्‍टीरिया से लड़ने की क्षमता रखता है। यह वायरस और फंगस से भी शरीर की रक्षा करता है। लहसुन में शरीर का तापमान कम करने और छाती व फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर निकालने की क्षमता होती है।

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