प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परमार्थ परमो धर्मः’ के मार्ग पर चलने वाले, स्थानीय संस्कृति के संरक्षण में लगे लोगों तथा तकनीक की मदद से बदलाव के वाहक बनने वाले लोगों को सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण ताकत करार दिया है और ऐसे लोगों को सामने लाने का आह्वान किया है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम मन की बात के 110वें एपिसोड में रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की सीख है-‘परमार्थ परमो धर्मः’ यानि दूसरों की मदद करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है। इसी भावना पर चलते हुए हमारे देश में अनगिनत लोग नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं।
बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश के कार्यों की अपने क्षेत्र के एक अत्यंत गरीब एवं वंचित समुदाय मुसहर जाति के लोगों के बीच खूब चर्चा है। भीम सिंह भवेश जी ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर अपना फोकस किया है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। उन्होंने मुसहर जाति के करीब आठ हज़ार बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। उन्होंने एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनवाई है, जिससे बच्चों को पढाई-लिखाई की बेहतर सुविधा मिल रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भीम सिंह समुदाय के सदस्यों के जरूरी डॉक्यूमेंट बनवाने में, उनके फॉर्म भरने में भी मदद करते हैं। इससे जरूरी संसाधनों तक गाँव के लोगों की पहुँच और बेहतर हुई है। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक मेडिकल कैम्प लगवाए हैं। जब कोरोना का महासंकट सिर पर था, तब भीम सिंह ने अपने क्षेत्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए भी बहुत प्रोत्साहित किया।
श्री मोदी ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भीम सिंह भवेश जैसे कई लोग हैं, जो समाज में ऐसे अनेक नेक कार्यों में जुटे हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम इसी प्रकार अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो यह, एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में बहुत ही मददगार साबित होगा।उन्होंने कहा कि भारत की सुन्दरता यहाँ की विविधता और हमारी संस्कृति के अलग-अलग रंगों में भी समाहित है। कितने ही लोग नि:स्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-सँवारने के प्रयासों में जुटे हैं।
इनमें से बड़ी संख्या उनकी भी है, जो, भाषा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे रहे हैं। वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है।उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ।
साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है। इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है।उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू एक शिक्षक हैं। उन्होंने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है।
उन्होंने एक भाषा स्कूल बनवाने का काम किया है। इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है। वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।उन्होंने कहा कि हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो गीतों और नृत्यों के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने में जुटे हैं। कर्नाटक के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं।
इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है। उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों, को प्रशिक्षण भी दिया है। भारत में उमंग और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो, हमारी संस्कृति को, निरंतर समृद्ध बना रहे हैं।प्रधानमंत्री ने कहा, “दो दिन पहले मैं वाराणसी में था और वहां मैंने एक बहुत ही शानदार फोटो प्रदर्शनी देखी। काशी और आसपास के युवाओं ने कैमरे पर जो मोमेंट कैप्चर किए हैं, वो, अदभुत हैं। इसमें काफी फोटोग्राफ ऐसी हैं, जो मोबाइल कैमरे से खींची गई थी।”
उन्होंने कहा कि आज जिसके पास मोबाइल है, वो एक कंटेंट क्रियेटर बन गया है। लोगों को अपना हुनर और प्रतिभा दिखाने में सोशल मीडिया ने भी बहुत मदद की है। भारत के युवा कंटेट क्रिएशन के क्षेत्र में कमाल कर रहे है। चाहे कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो, अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग कंटेंट शेयर करते हमारे युवा साथी मिल ही जाएंगे। पर्यटन हो, सामाजिक उद्देश्य हो, जनभागीदारी हो या फिर प्रेरक जीवन यात्रा, इनसे जुड़े तरह-तरह के कंटेंट सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। कंटेंट रचना कर रहे देश के युवाओं की आवाज आज बहुत प्रभावी बन चुकी है।
उनकी प्रतिभा को सम्मान देने के लिए देश में नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड शुरू किया गया है। इसके तहत अलग-अलग श्रेणियों में उन बदलाव के वाहकों को सम्मानित करने की तैयारी है, जो सामाजिक परिवर्तन की प्रभावी आवाज बनने के लिए टेक्नॉलॉजी का उपयोग कर रहे हैं।श्री मोदी ने कहा, “यह कंटेंट माईगाॅव पर चल रहा है और मैं कंटेंट क्रियेटर्स को इससे जुड़ने के लिए आग्रह करूँगा। आप भी अगर ऐसे दिलचस्प कंटेंट क्रियेटर्स को जानते हैं, तो उन्हें नेशनल क्रियेटर्स के लिए जरुर नामित करें।”