गाजा में मानवीय मदद सुनिश्चित करने के लिए तत्काल युद्धविराम का समर्थन करते हुए भारत ने कहा है कि ”इस असाधारण मुश्किल समय में” ”उचित संतुलन” बनाना एक चुनौती है।संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र में मिस्र द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को मंगलवार को अभूतपूर्व समर्थन से पारित किया गया। वैश्विक निकाय के 193 सदस्यों में से भारत समेत 153 सदस्यों ने प्रस्ताव के समर्थन में और 10 सदस्य देशों ने इसके विरोध में मतदान किया जबकि 23 अन्य सदस्य अनुपस्थित रहे।
प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वालों में ऑस्ट्रिया, इजराइल और अमेरिका शामिल थे जबकि जर्मनी, हंगरी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन मतदान में भाग नहीं लेने वाले देशों में शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मतदान के बाद कहा, ”भारत ने महासभा द्वारा अभी अपनाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है।”
अल्जीरिया, बहरीन, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और फलस्तीन भी इस प्रस्ताव के प्रायोजकों में शामिल रहे। इस प्रस्ताव में गाजा में मानवीय मदद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तत्काल युद्ध विराम की मांग की गई। इस प्रस्ताव में यह मांग दोहराई गई कि सभी पक्ष ”विशेष रूप से नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में” अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें।प्रस्ताव में ”सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई के साथ-साथ मानवीय मदद की आपूर्ति सुनिश्चित करने” की भी मांग की गई।
यूएनजीए द्वारा प्रस्ताव को अपनाने के बाद भारत ने इस तथ्य का स्वागत किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस समय इस क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए ”समान आधार” खोजने में सक्षम रहा।कंबोज ने कहा, ”इस असाधारण कठिन समय में हमारी चुनौती सही संतुलन बनाना है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसकी गंभीरता और जटिलता को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 99 को महासचिव द्वारा लागू कर रेखांकित किया गया है।”
नागरिकों को नुकसान से बचाए जाने का उल्लेख करते हुए गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 का पिछले सप्ताह उपयोग किया, जिसमें कहा गया है कि महासचिव यूएनएससी को उन मामलों के बारे में सूचित कर सकते हैं जो उन्हें लगता है कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, ”अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह इस संकट को और बढ़ने से रोकने तथा खत्म करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे।”कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा जिस स्थिति पर विचार-विमर्श कर रही है, उसके कई आयाम हैं।
उन्होंने कहा, ”इजराइल में सात अक्टूबर को आतंकवादी हमला हुआ और उस समय बंधक बनाए गए लोगों की चिंता है। वहां एक बहुत बड़ा मानवीय संकट है और बड़े पैमाने पर लोग, विशेषकर महिलाएं और बच्चे मारे जा रहे हैं।”कंबोज ने कहा कि सभी परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का भी मुद्दा है और फलस्तीन संबंधी पुरानी समस्या का शांतिपूर्ण और स्थायी द्वि-राष्ट्रीय समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है।