नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित भूमि घोटाला मामले में दो पूर्व प्रधानमंत्रियों- माधव कुमार नेपाल और डा. बाबूराम भट्टराई के खिलाफ 15 दिन के भीतर मुकदमा दायर करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित जांच आयोग को उसके रवैए को लेकर फटकार भी लगाई है।
ललिता निवास कांड के नाम से चर्चित इस भूमि घोटाले की जांच के लिए गठित अख्तियार दुरुपयोग अनुसंधान आयोग ने कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों को आरोपित नहीं बनाया है, बल्कि उनका नाम सरकारी गवाह के रूप में शामिल किया है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि नीतिगत निर्णय में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करने वाले दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों को किस आधार पर क्लीनचीट दी गई है?सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनोद शर्मा की सिंगल बेंच जांच आयोग द्वारा दाखिल चार्जशीट में दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों का नाम आरोपित के तौर पर शामिल नहीं किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
इस याचिका में कहा गया है कि ललिता निवास कांड एक सरकारी नीतिगत भ्रष्टाचार का मामला है जसमें पूरी सरकार शामिल थी। जिस घोटाले के लिए संबंधित मंत्रालय के ऊपर से नीचे तक के सभी कर्मचारियों को दोषी बनाया गया है, जिस घोटाले के लिए कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव ले जाने वाले मंत्रालय के सचिव, तत्कालीन चार मंत्री तक को आरोपी बनाया गया है, ऐसे में कैबिनेट से अंतिम निर्णय करने वाले प्रधानमंत्री का नाम चार्जशीट में क्यों शामिल नहीं किया गया?