ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) सहित सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगी।सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां मुख्य रूप से तेल और गैस खोज, रिफाइनरी, पेट्रोरसायन और पाइपलाइन कारोबार में यह निवेश करेंगी, जिससे देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
बजट दस्तावेज 2024-25 के अनुसार, 2024-25 में प्रस्तावित निवेश 31 मार्च को समाप्त होने वाले चालू वित्त की तुलना में लगभग पांच प्रतिशत अधिक होगा। 2023-24 में पेट्रोलियम कंपनियों का निवेश 1.12 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।ओएनजीसी ने अगले वित्त वर्ष में 30,800 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई है। कंपनी यह निवेश तेल और गैस के नए भंडार खोजने और पहले की गई खोजों को उत्पादन में लाने पर करेगी। यह 2023-24 के 30,500 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय से थोड़ा अधिक है। कंपनी देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर खोजों का विकास कर रही है।
इसी तरह ओएनजीसी की विदेशी इकाई ओएनजीसी विदेश लि. (ओवीएल) 2024-25 में 5,580 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह चालू वित्त वर्ष की तुलना में 68 प्रतिशत अधिक है।देश की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) 30,910 करोड़ रुपये के निवेश परिव्यय के साथ सबसे अधिक खर्च करने वाली कंपनी होगी। आईओसी यह निवेश मुख्य रूप से विस्तार और ईंधन का उत्पादन करने वाली अपनी सात रिफाइनरियों के उन्नयन पर होगा। इस राशि में से 3,299 करोड़ रुपये कंपनी पेट्रोरसायन कारोबार पर और 236.48 करोड़ रुपये छोटे तेल और गैस खोज पोर्टफोलियो पर खर्च करेगी। हालांकि, आईओसी का निवेश 2023-24 के खर्च 31,254 करोड़ रुपये से कुछ कम है।
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने 2024-25 में 30 प्रतिशत अधिक यानी 13,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रस्ताव किया है। इसमें से दो-तिहाई खर्च कंपनी अपने मुख्य रिफाइनरी कारोबार पर करेगी।गैस कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड का नियोजित निवेश 2024-25 में घटकर 8,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का निवेश 9,750 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। कंपनी का निवेश घटने की मुख्य वजह यह है कि इसकी ज्यादातर पाइपलाइन ग्रिड विस्तार परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं।
ओएनजीसी की अनुषंगी कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) वित्त वर्ष 2024-25 में 12,500 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जो पिछले वित्त वर्ष के 12,000 करोड़ रुपये के आंकड़े से कुछ अधिक है।देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) चालू वित्त वर्ष के 5,648 करोड़ रुपये की तुलना में अगले साल 6,880 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।आम चुनाव से पहले एक फरवरी को पेश 2024-25 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोलियम विपणन कंपनियों – आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को पूंजीगत समर्थन अगले वित्त वर्ष तक के लिए टालने का प्रस्ताव किया है।
उन्होंने 2023-24 का वार्षिक बजट पेश करते हुए आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को उनकी ऊर्जा बदलाव योजनाओं में समर्थन देने के लिए 30,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने कर्नाटक के मेंगलोर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में रणनीतिक भूमिगत भंडारण को भरने के लिए कच्चा तेल खरीदने को 5,000 करोड़ रुपये का भी प्रस्ताव किया था।
पिछले साल नवंबर में वित्त मंत्रालय ने इक्विटी समर्थन आधा कर दिया था। बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश 2024-25 के अंतरिम बजट में सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में इक्विटी निवेश के लिए कोई आवंटन नहीं दिखाया है। अब 2024-25 में पेट्रोलियम कंपनियों के लिए 15,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।बजट दस्तावेजों के अनुसार, रणनीतिक भंडार भरने के लिए चालू वित्त वर्ष या अगले वित्त वर्ष के लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई है।उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह निर्णय चालू वित्त वर्ष में तीन कंपनियों की लाभप्रदता में वृद्धि से जुड़ा हो सकता है। इन कंपनियों ने 2022-23 के वित्त वर्ष के घाटे की आंशिक रूप से भरपाई कर ली है। तीनों इस साल अच्छा मुनाफा कमा रही हैं क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बावजूद खुदरा बिक्री मूल्य में 21 माह से कोई बदलाव नहीं हुआ है।