दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। याचिका में यूएपीए के प्रावधानों के तहत दर्ज मामले में उस एफआईआर को चुनौती दी गई है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मीडिया आउटलेट को चीन समर्थक प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए पैसे मिले थे।
कार्यवाही के दौरान पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ज़ोहेब हुसैन ने मामले में बाद के घटनाक्रमों, विशेष रूप से न्यूजक्लिक के पूर्व मानव संसाधन प्रमुख अमित चक्रवर्ती के सरकारी गवाह बनने का हवाला देते हुए नोटिस जारी करने का विरोध किया।ज़ोहेब हुसैन ने तर्क दिया कि कथित अपराध प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ स्थापित किए जा चुके हैं। पुरकायस्थ का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने इन दावों का विरोध किया, जिसके बाद न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा को दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया पर विचार करने के लिए नोटिस जारी करना पड़ा।
अदालत ने उचित प्रक्रिया का पालन करने के महत्व को बताया और कहा, “अगर मैं नोटिस जारी नहीं करूंगा, तो मैं आपके जवाब को कैसे देखूंगा? मैं उसे कैसे पढ़ूंगा… मुझे एक अलग प्रक्रिया क्यों अपनानी चाहिए? इससे क्या फर्क पड़ता है कि मैं नोटिस जारी करता हूं।”आखिरकार अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की। विशेष रूप से, पुरकायस्थ की याचिका पिछले चार मौकों पर सूचीबद्ध होने के बावजूद, शुक्रवार तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।
पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिकाएं हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर 2023 को खारिज कर दी थी। इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है और यह उसके समक्ष लंबित है। हाईकोर्ट ने 7 फरवरी को अमित चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर भी अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 9 जनवरी को चक्रवर्ती को मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी थी। उन्होंने विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष एक आवेदन दायर कर चल रहे मामले में माफी की मांग की थी।ट्रायल कोर्ट ने 29 जनवरी को मामले में न्यूजक्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत 17 फरवरी तक बढ़ा दी थी।अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर में न्यूजक्लिक पर कथित तौर पर चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम से जुड़े नेटवर्क द्वारा वित्त पोषित संगठन होने का आरोप लगाया गया था।