उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा को स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम से जुड़े 2015 के मामले में जमानत देने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पंजाब सरकार की अपील बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के चार जनवरी के आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं हैं।पीठ ने पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से कहा कि हालांकि खैरा के खिलाफ आरोप गंभीर हैं लेकिन मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
भोलाथ विधानसभा क्षेत्र से विधायक खैरा को उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी, लेकिन आपराधिक धमकी से संबंधित एक नए मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। खैरा को 2015 के एक मामले में पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद कांग्रेस ने राज्य की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप लगाए थे।एक विशेष जांच दल की जांच के दौरान (एनडीपीएस) अधिनियम मामले में उनकी कथित भूमिका सामने आने के बाद वह जमानत का अनुरोध कर रहे थे।
मार्च 2015 में फाजिल्का के जलालाबाद में मादक पदार्थ बरामद होने के बाद यह मामला दर्ज किया गया था। खैरा के कथित करीबी गुरदेव सिंह सहित नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और बाद में अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया था।पुलिस ने आरोपियों के पास दो किलोग्राम हेरोइन, सोने की 24 छड़ें, एक देसी पिस्तौल, प्वाइंट 315 बोर की पिस्तौल और दो पाकिस्तानी सिम कार्ड जब्त किए थे। पंजाब में कपूरथला की एक अदालत ने आपराधिक धमकी देने के मामले में 15 जनवरी को खैरा को जमानत दी थी।