यूपी के बांदा मेडिकल कॉलेज में हार्ट अटैक से माफिया मुख्तार अंसारी की हुई मौत के बाद उसके परिवार से लेकर तमाम विपक्षी दल भी सवाल उठा रहे हैं, जिसके बाद इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
एक महीने के अंदर रिपोर्ट जमा करानी होगी.
बांदा कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भगवान दास गुप्ता ने मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इस मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी गरिमा सिंह को दी गयी है. प्रशासन को मुख्तार अंसारी के इलाज से जुड़ी सारी जानकारी तीन दिन के अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. एक माह के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी.
परिवार की ओर से लगाए गए गंभीर आरोप
इस मौत को लेकर मुख्तार अंसारी के परिवार ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. परिजनों ने जेल प्रशासन पर धीमा जहर देने का आरोप लगाया है. इससे पहले कोर्ट में पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे. जिसके बाद इस मामले पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
दूसरी तरफ कई विपक्षी दल भी इसे लेकर प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं. उत्तर प्रदेश ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘मुख्तार अंसारी की जेल में मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा लगातार जताई जा रही आशंकाओं और गंभीर आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराना जरूरी है, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें.
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