प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम’ पहुंचे विश्व नेताओं से हाथ मिलाकर शनिवार को उनका स्वागत किया और इस दौरान पृष्ठभूमि में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई।स्वागत स्थल की पृष्ठभूमि में कोणार्क चक्र के साथ-साथ एक ओर जी20 का ‘लोगो’ और दूसरी ओर भारत की जी20 अध्यक्षता की विषयवस्तु — ‘वसुधैव कुटुम्बकम- वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर (एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य)’ नजर आ रही थी।
मोदी ने शहनाई की मधुर धुन के बीच राष्ट्र प्रमुखों और अन्य नेताओं का स्वागत किया और इस बीच जी20 के सदस्य देशों, आमंत्रित देशों एवं कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के ध्वज खुशनुमा सुबह चल रही हवा के साथ लहरा रहे थे।कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है।
इस चक्र का घूमना ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है।यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल ‘भारत मंडपम’ में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और कई अन्य शीर्ष नेताओं का शनिवार सुबह स्वागत किया।दुनियाभर के नेता ‘भारत मंडपम’ में जब रेड कार्पेट पर उतरे, तो कलाकारों ने शहनाई पर ‘वैष्णव जन तो’, ‘पधारो म्हारे देस’ और ‘रघुपति राघव राजा राम’ की धुन बजाकर उनका स्वागत किया।