पर्यावरण पर खोखले बयानों के लिए मोदी ने किया जी-20 का इस्तेमाल : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नेरेंद्र मोदी ने पर्यावरण के महत्व को लेकर जी-20 शिखर सम्मेलन का इस्तेमाल खोखले बयान देने के लिए किया है जबकि उनकी सरकार बड़े पैमाने पर भारत के पर्यावरण संरक्षण को तहस-नहस कर रही है।कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि जी-20 पर्यावरण और जलवायु स्थिरता बैठक में श्री मोदी ने कहा था, “हम जैव विविधता संरक्षण, सुरक्षा, पुनर्स्थापन और संवर्धन पर कार्रवाई करने में लगातार आगे रहे हैं। धरती माता की सुरक्षा और देखभाल हमारी मौलिक ज़िम्मेदारी है। जलवायु के लिए चलाए जा रहे अभियान को अंत्योदय का पालन करना चाहिए यानी हमें समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान और विकास को सुनिश्चित करना होगा।”

 

उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने जो बयान दिया है वह पूरी तरह से खोखला है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। मोदी सरकार बड़े पैमाने पर भारत के पर्यावरण संरक्षण को तहस-नहस कर रही है और वनों पर निर्भर सबसे कमज़ोर समुदायों के लोगों के अधिकारों को छीन रही है।प्रवक्ता ने कहा कि सरकार एक तरफ समानता पर जोर देने के दावे करती है और उसके इस दावे को वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2023 पूरी तरह से खोखला साबित करता है। उनका कहना था कि यह अधिनियम देश के आदिवासियों और वनों में रहने वाले अन्य समुदायों के लिए विनाशकारी होगा, क्योंकि यह 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमज़ोर करता है

 

और स्थानीय समुदायों की सहमति के प्रावधानों और बड़े क्षेत्रों में वन मंजूरी की जरूरतों को ख़त्म करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने 2022 में इस पर आपत्ति जताई थी। पूर्वोत्तर के जनजातीय समुदाय विशेष रूप से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि यह अधिनियम देश की सीमाओं के 100 किमी के भीतर की भूमि को संरक्षण कानूनों के दायरे से छूट देता है। उनका कहना था कि मिजोरम में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है इसके बावजूद वहां की सरकार ने इस अधिनियम के विरोध में विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है।

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