मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उन सभी जिला मुख्यालयों में परीक्षण के आधार पर मोबाइल टावरों को चालू करने का निर्देश दिया है, जो जातीय संघर्ष से प्रभावित नहीं हैं।यह निर्देश मणिपुर सरकार द्वारा राज्य में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को आठ नवंबर तक बढ़ाए जाने के आदेश के बाद आया है।
मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति गोलमेई गाइफुलशिलु काबुई की खंडपीठ द्वारा जारी आदेश में राज्य से ‘उन क्षेत्रों में सेवाएं शुरू’ करने को कहा गया जो हिंसा से प्रभावित नहीं है।अदालत ने राज्य से मोबाइल इंटरनेट डेटा सेवाओं को निलंबित करने या उन पर अंकुश लगाने के संबंध में जारी सभी आदेशों की प्रतियां अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा।मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को तय की गई है।
मणिपुर में तीन मई से जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध (सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर) लगा हुआ है। पिछले सप्ताह भीड़ द्वारा मणिपुर राइफल्स के एक शिविर पर हमला कर वहां से शस्त्र लूटे जाने के बाद इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ाने का आदेश दिया गया था। हमले के बाद सुरक्षाकर्मियों ने हवा में कई राउंड गोलियां चलाई थी।
इंटरनेट पर प्रतिबंध को इस आशंका के बाद बढ़ाया गया था कि ताजा हिंसा के बाद असामाजिक तत्व तस्वीरों, नफरत भरे भाषणों और वीडियो को सोशल मीडिया पर फैलाकर जनता की भावना भड़का सकते हैं और राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है।