देश में समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया है कि समान नागरिक संहिता के महत्व और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए विधि आयोग इससे जुड़े समस्त पहलुओं का अध्ययन कर रहा है।
दअरसल, भाजपा के राज्य सभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने शीतकालीन सत्र के दौरान 8 दिसंबर, 2023 को उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान समान नागरिक संहिता का मसला उठाया था। इस पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भाजपा सांसद यादव को उनके सुझावों के लिए आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखकर कहा कि,” कृपया 8 दिसंबर 2023 की अपनी राज्यसभा बहस का संदर्भ लें, जो कि शून्यकाल के दौरान उठाया गया था। इस मामले में आपके सुविचारित विचारों और बहुमूल्य सुझावों के लिए मैं आपका आभारी हूं।”
केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने अपने पत्र में समान नागरिक संहिता को लेकर सरकार के स्टैंड को स्पष्ट करते हुए आगे कहा, “इस संबंध में, यह ध्यान दिया जा सकता है कि विषय वस्तु के महत्व और इसमें शामिल संवेदनशीलता को देखते हुए, विभिन्न समुदायों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों के प्रावधानों के गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिश करने का अनुरोध किया था। 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31.08.2018 को समाप्त हो गया और 22वें विधि आयोग ने अपने विचार के लिए समान नागरिक संहिता के संदर्भ को लिया और बड़े पैमाने पर लोगों से एवं मान्यता प्राप्त संगठनों से विचार मांगे। अब यह मामला भारत के विधि आयोग की जांच के अधीन है।”
भाजपा राज्य सभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र को एक्स पर शेयर करते हुए कहा, “समान नागरिकता कानून लागू करने के लिए मेरे द्वारा राज्य सभा में 8 दिसंबर 2023 को शून्यकाल में उठाए गए मुद्दे पर विधि एवम् न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का उत्तर :- समान नागरिकता कानून की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए विधि आयोग उसके समस्त पहलुओं का अध्ययन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का ह्रदय से अभिनंदन।”