साबूदाना, जिसे टैपिओका पर्ल के रूप में भी जाना जाता है. ये एक बहुत ही लोकप्रिय और पसंद किया जाने वाला फूड आइटम है.खासकर भारतीयों के बीच इसे उपवास के दौरान एक बेहतरीन भोजन विकल्प माना जाता है.लेकिन क्या सच मे इसमें कुछ पोषक तत्व है जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद हैं या बस इस आइट्म को हाइप दे दिया गया है.जानेंगे इस बारे में विस्तार से.
क्या है साबूदाना को लेकर एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट क्रिश अशोक ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साबूदाना के फायदे को लेकर बात करते हुए कहा है कि वो साबूदाना खाना पसंद करते हैं. यह स्वादिष्ट भी होता है. लेकिन यह बहुत ज्यादा अल्ट्रा प्रोसेस्ड स्टार्च के अलावा कुछ भी नहीं है. वह बताते हैं कि अगर आप उपवास के दौरान इसे खा रहे हैं तो इसका कोई मतलब नहीं बनता है यह आपके रक्त शर्करा को बढ़ा देगा. वहीं वो ये भी कहते हैं कि ये वो ट्रेडिशनल साबूदाना नहीं है जो शुरुआत में 1940 से लेकर 1950 के दशक में मिलता था. कुल मिलाकर उनका कहना है कि साबूदाना खाने में तो डिलीशियस लग सकता है लेकिन यह हेल्दी भी नहीं है ना ही ट्रेडिशनल है.
हाईली रिफाइंड स्टार्च का एक फॉर्म है साबूदाना
वहीं अन्य पोषण विशेषज्ञ मुग्धा प्रधान ने भी बताया कि साबूदाना बहुत ही हाईली रिफाइंड स्टार्च का एक फॉर्म है, जो कसावा या साबूदाना के पौधे की जड़ों से प्राप्त होता है. इसको इतना ज्यादा रिफाइन किया जाता है कि यह ब्लड में बहुत जल्दी अब्जॉरब होता है और ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाता है.यह एक बहुत ही हाई ग्लाइसेमिक वाला भोजन है यानी इसका जीआई इंडेक्स बहुत अधिक है.
मधुमेह और उच्च रक्तचाप, मोटापा और हृदय रोग जैसी अन्य मेटाबॉलिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों को इस तरह के खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए.अगर आपके साथ डायबिटीज और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी कोई भी समस्या नहीं है तो आप आराम से संतुलित आहार के तौर पर साबूदाना का आनंद ले सकते हैं.साबूदाना कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है और तुरंत ऊर्जा प्रदान कर सकता है.यह ग्लूटेन-मुक्त और पचाने में आसान है जो इसे पाचन समस्याओं वाले लोगों के लिए उपयुक्त बनाता है.
क्या व्रत के दौरान साबूदाना खाना सही है?
यहां तक कि फास्ट तोड़ने के लिए भी साबूदाना एक उपयुक्त विकल्प नहीं है. क्योंकि उपवास के दौरान आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता अधिक होती है और उच्च ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ ऐसे समय में आपके ब्लड शुगर को काफी बढ़ा देंगे. ब्लड शुगर में इस तरह के भारी बदलाव से तंत्रिका तंत्र पर दबाव पड़ता है जो की आपके लिए सही नहीं है. हल्के कम ग्लाइसेमिक भोजन के साथ अपना उपवास तोड़ना चाहिए.
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