आजकल लोगो की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम ज्यादा और समय कम है। समय की कमी ने रिश्तों और अपनों को दूर कर दिया है। जिसके कारण लोग गंभीर तनाव का शिकार हो रहे हैं।क्या आप जानते हैं लगातार तनाव बढ़ने लगता हैआपके चेहरे की झुर्रियां।अगर नहीं तो आईये आज जानते है तनाव से झुर्रियां और उम्र बढ़ने के बीच क्या है कनेक्शन।
लोगो की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम ज्यादा और समय कम है।क्या आप जानते हैं या आपने कभी महसूस किया है कि जिस हफ्ते आप पर काम का बोझ सबसे ज्यादा होता है या आप तनाव से घिरे रहते हैं, उस हफ्ते आपका चेहरा पहले से भी ज्यादा बेजान दिखने लगता है। जी हां, आप बिल्कुल सही हैं, ये तनाव के लक्षण हैं जो सबसे पहले आपके चेहरे पर नजर आते हैं। अगर आप इन्हें नजरअंदाज करते रहेंगे तो आपको समय से पहले बुढ़ापे का सामना करना पड़ सकता है। समय रहते अपने तनाव पर काबू पाना क्यों जरूरी है, आइए आज इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
आंखों के नीचे हो जाते हैं डार्क सर्कल-बहुत से लोग सोचते हैं कि आंखों के नीचे काले घेरे नींद की कमी के कारण होते हैं। यह सच है लेकिन इसमें कनेक्शन का तनाव भी है। जब कोई व्यक्ति तनाव लेता है तो चेहरे को छोड़कर शरीर के सभी हिस्सों में रक्त प्रवाहित होता है, जिसके कारण चेहरा पीला और मुरझाया हुआ दिखता है। इससे आंखों के नीचे की रक्त वाहिकाएं साफ नजर आने लगती हैं। धीरे-धीरे यह इतना गहरा हो जाता है कि आंखों के नीचे काले घेरे नजर आने लगते हैं।
बढ़ती उम्र में पिंपल्स होना भी तनाव की निशानी है-आपने कई किशोर बच्चों के चेहरे पर पिंपल्स देखे होंगे। यह एक बहुत ही आम समस्या लगती है. किशोरावस्था में पिंपल्स निकलना एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन बुढ़ापे में पिंपल्स होना एक समस्या है। पिंपल्स का सीधा संबंध तनाव से होता है।पिंपल्स सिर्फ चेहरे पर ही नहीं बल्कि पीठ, छाती, पेट और बांहों पर भी होते हैं। जब तनाव के कारण शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है तो तेल ग्रंथियां अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं। इससे सीबम नामक तेल अधिक मात्रा में निकलने लगता है और मृत त्वचा के साथ-साथ त्वचा के रोमछिद्रों को बंद कर देता है। इससे न सिर्फ शरीर पर पिंपल्स निकलते हैं बल्कि ब्लैक हेड्स और व्हाइट हेड्स भी बढ़ जाते हैं।
रातों-रात त्वचा पर सफेद दाग दिखने लगते हैं-तनाव के कारण मेलेनिन की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और इसके कारण त्वचा पर जगह-जगह सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इसे ‘विटिलिगो’ कहा जाता है। तनाव बढ़ने पर यह बीमारी रातोरात उभर सकती है।तनाव चाहे किसी भी प्रकार का हो, वह सबसे पहले हमारी बीमारियों से बचने की क्षमता को कम करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही शरीर कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है, लेकिन त्वचा पर तनाव होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही त्वचा में पाया जाने वाला ‘मेलेनिन’ नामक रसायन प्रभावित होने लगता है। मेलेनिन आंखों, बालों और त्वचा को रंग देता है। जिनके शरीर में इसकी मात्रा अधिक होती है उनका रंग सांवला होता है और यदि इसकी मात्रा कम होती है तो ऐसे लोग गोरे होते हैं।
एक्जिमा में त्वचा पपड़ी की तरह झड़ने लगती है-अगर किसी व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र कमजोर है तो तनाव उस पर जल्दी असर करता है। यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन ऐसी स्थिति में एक्जिमा की बीमारी शुरू हो सकती है। अगर बिना किसी कारण अचानक से खुजली होने लगे तो यह तनाव बढ़ने का संकेत है। खुजली के कारण त्वचा की बाहरी परत एपिडर्मिस पर मौजूद सुरक्षा कवच टूट जाता है।हमारा मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाएं एक प्रणाली की तरह मिलकर काम करती हैं। इसे तंत्रिका तंत्र कहते हैं। तंत्रिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क शरीर के बाकी हिस्सों को आदेश देता है। तनाव के कारण यह व्यवस्था गड़बड़ा जाती है।
जब आप तनावग्रस्त होते हैं, तो आपका शरीर फाइट-या-फ्लाइट मोड के साथ प्रतिक्रिया करता है। यह एक हार्मोनल गतिविधि है, जो आपकी सेहत को खराब कर सकती है। इसका कहर सिर्फ आपके आंतरिक स्वास्थ्य पर ही असर नहीं डालता है। बल्कि यह आपकी त्वचा पर भी कई तरह से प्रभाव डालता है। ये तनाव के लक्षण जो सबसे पहले आपके चेहरे पर नजर आते हैं। अगर आप इन्हें नजरअंदाज करते रहेंगे तो आपको समय से पहले बुढ़ापे का सामना करना पड़ सकता है।
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