प्राणायाम एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे न केवल शरीर ही बल्कि मन को भी वश में किया जा सकता है। मन वश में होने से दिमाग भी तेज होता है। इससे शरीर में चुस्ती-फुर्ती और कान्ति भी आ जाती है।आइये जानते है प्राणायाम के विषय में विस्तार से :-
प्राणायाम का लाभ पाने के लिए इन बातों को हमेशा याद रखना चाहिए –
प्राणायाम करते समय सांस नाक से ही लेनी चाहिए।
सांस को जबरदस्ती न रोकें।
प्राणायाम करने के दौरान अगर थकान महसूस हो तो बीच-बीच में छोटे व्यायाम या स्ट्रेचिंग भी कर सकते हैं।
प्राणायाम करने से पहले ओम का 3 बार उच्चारण भी कर लेना चाहिए।
इस दौरान हमेशा चेहरे पर मुस्कराहट रहनी चाहिए।
गर्भवती स्त्रिायों को भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
बुखार के दौरान प्राणायाम न करें।
प्राणायाम शुरू करने के पहले अन्य योगासन जरूर करें।
आइये जानते है प्राणायाम है क्या
योग की वैज्ञानिक प्रक्रिया का चतुर्थ अंग है ‘प्राणायाम’। आसन के द्वारा जब हमारा शरीर एक सुखी व शांत अवस्था में आ गया तो अब शरीर की शांत अवस्था में श्वास को नियमित व नियंत्रित किया जा सकता है। मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति के साथ शारीरिक उन्नति के लिए भी प्राणायाम एक विशेष महत्त्व रखता है।
सामान्य अर्थों में श्वास के नियंत्रण को प्राणायाम कहा गया है। प्राणायाम शब्द दो शब्दों ‘प्राण’ और ‘आयाम’ से मिलकर बना है। ‘प्राण’ यह हमारी जीवनी शक्ति है और ‘आयाम’ शब्द का अर्थ प्राणगति का विस्तार तथा ऐच्छिक नियंत्रण।
इस प्रकार कह सकते हैं कि श्वास का चित्त की स्थितियों पर प्रभाव पड़ता है। प्रयोगों और अनुभवों में देखा जाए तो जैसे- क्रोध में, कामवासना में, भय में, उद्धिगनता आदि मनोभाव में श्वास की गति अस्थिर व भिन्न-भिन्न होती है। प्रेम में, करुणा में, मैत्री में, भावुकता आदि मन की वृत्तियों में श्वास की गति भिन्न होती है।