क्या आप भी बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड और रेडी टू ईट फूड के शौकीन हैं? अगर हां, तो जाने-अनजाने आप भी मोनोसोडियम ग्लूटामेट का भरपूर सेवन कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं मोनो सोडियम ग्लूटामेट यानी MSG आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक है? पैकेट पर ‘नो एडेड एमएसजी’ का लेवल देखकर भले ही आप इसे सुरक्षित मानते हों, लेकिन आपको इसके पीछे छिपी कंपनियों की चालाकी जान लेनी चाहिए।
क्या है मोनो सोडियम ग्लूटामेट
ग्लूटामेट एक तरह का प्राकृतिक एमिनो एसिड है जो दूध, मशरूम और मछली आदि कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। जबकि मोनो सोडियम ग्लूटामेट को फैक्ट्री में बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल एक फ्लेवर इंहैंसर यानि स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ के रूप में किया जाता है। ज्यादातर चाइनीज फूड्स, नूडल्स के मसाले, पिज्जा, चिप्स, डिब्बाबंद वेजिटेबल्स, सूप और प्रोसेस्ड मीट में इसे मिलाया जाता है। खाद्य सुरक्षा से जुड़ी दुनियाभर की तमाम संस्थाओं में एमएसजी के इस्तेमाल को लेकर हमेशा विवाद रहा है। इसी विवाद के चलते बहुत सारे उत्पादों ने अपने पैकेट पर ‘नो ऐडेड एमएसजी’ लिखना शुरू कर दिया। अब पैकेट पर ‘नो ऐडेड एमएसजी’ लिखा देखकर अगर आप भी इसे सुरक्षित समझ लेते हैं तो हो सकता है आप गलत हों और भाषा की आड़ में आपको मूर्ख बनाया जा रहा हो। दरअसल बहुत सारे उत्पादों में ‘नो ऐडेड एमएसजी’ लिखा होने के बावजूद इसमें एमएसजी हो सकता है क्योंकि इस टिप्पणी का मतलब ये है कि ‘इस उत्पाद को बनाने के बाद इसमें एमएसजी नहीं मिलाया गया है’ जबकि इसे बनाते समय इसमें एमएसजी का इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
एमएसजी का प्रभाव
एमएसजी कितना नुकसानदायक है इसका पता इस बात से चलता है कि एमएसजी के इस्तेमाल की जबसे शुरुआत हुई उसके 30 साल बाद ही दुनियाभर में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या 30 गुना ज्यादा बढ़ गई। इसके अलावा इसके इस्तेमाल के बाद से दुनियाभर में बच्चों का मोटापा तेजी से बढ़ा है।
क्यों नुकसाददायक है एमएसजी
- एमएसजी की प्रकृति नशे जैसी होती है इसलिए एक बार एमएसजीयुक्त खाद्य पदार्थ खा लेने के बाद इसे बार-बार खाने की इच्छा होती है।
- एमएसजी के सेवन से शरीर में इंसुलिन की मात्रा प्रभावित होती है इसलिए ये टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है।
- एमएसजी के सेवन से आंखों की रौशनी पर भी प्रभाव पड़ता है और आपकी रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है।
- इसके सेवन से मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है जिससे हृदय की धड़कन बढ़ने के साथ-साथ हृदय संबंधी तमाम रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा इसके सेवन से सीने में दर्द भी हो सकता है।
- एमएसजीयुक्त पदार्थों के अधिक सेवन से मोटापे की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों और युवाओं में मोटापे की एक बड़ी वजह फास्टफूड्स और पैकेज्ड फूड्स में इस्तेमाल होने वाला एमएसजी भी है।
- एमएसजी हमारे शरीर में न्यूरॉन्स को भी प्रभावित करता है इसलिए इसके लगातार सेवन से हमारी दिमागी क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। एमएसजीयुक्त पदार्थों के सेवन से दिमागी बीमारियां जैसे अल्जाइमर्स, पार्किन्सन्स, आदि भी हो सकती हैं।
- एमएसजीयुक्त पदार्थों के सेवन से बांझपन भी हो सकता है क्योंकि इसके इस्तेमाल से गर्भ में पल रहे बच्चे को भोजन पहुंचाने वाली नली प्रभावित होती है जिससे भ्रूण का विकास ही नहीं हो पाता है।
- एमएसजी मिला आहार खाने से रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
- इसके लगातार इस्तेमाल से माइग्रेन या सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
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