जाने एक्सपर्ट से, कॉफी पीने का सही तरीका क्या है

शरीर को सक्रिय और तरोताजा करने के लिए कॉफी फायदेमंद है। कुछ लोगों को कॉफ़ी इतनी पसंद होती है कि इसके बिना उनकी सुबह पूरी नहीं होती. लेकिन इसके अधिक सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. ज्यादा कॉफी पीने से कब्ज, एसिडिटी, सूजन और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह डिहाइड्रेशन और मूड स्विंग्स का कारण भी बन सकती है। इसलिए दिन में दो कप से ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। कम मात्रा में सेवन के साथ इसका सही तरीके से सेवन करना भी जरूरी है। आयुर्वेद में कॉफी पीने का सही तरीका बताया गया है। अगर आप इन तरीकों को फॉलो करते हैं, तो इससे आपको काफी फायदा मिल सकता है। इस बारे में जानकारी देते हुए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट ने जो कहाआइए जानें इन तरीकों के बारे में।

आयुर्वेद में मुताबिक कॉफी पीने का सही तरीका क्या है-
खाली पेट कॉफी न पिएं- खाली पेट कॉफी पीने से आपको एसिडिटी हो सकती है। इसके सेवन से शरीर में वात-पित्त का संतुलन बिगड़ सकता है। इसलिए अगर आप कॉफी पीना चाहते हैं, तो नाश्ते के एक घंटे बाद पिएं। इससे कॉफी खाना पचाने में मदद करेगी। साथ ही, आपको दिनभर एनर्जेटिक भी रखेगी।

कॉफी में हेल्दी चीजें मिलाएं- कॉफी को हमेशा कुछ ठोस पदार्थ लेने के बाद ही पिएं। इससे कॉफी को पचाना भी आसान होगा। इसके फायदे बढ़ाने के लिए आप इसमें घी, दूध या इलायची मिलाकर पी सकते हैं। इलायची की तासीर ठंडी होती है। इसके सेवन से शरीर में वात-पित्त का संतुलन भी बना रहता है। कॉफी में घी या नारियल तेल मिलाकर पीने से इसकी तासीर ठंडी हो जाती है। इससे कॉफी शरीर को नुकसान नहीं करती है।

शाम में देरी से कॉफी न पिएं- शाम में ज्यादा देरी से इसका सेवन न करें। क्योंकि शाम के दौरान हमारी पाचन क्रिया धीमी हो जाती है। इस दौरान हमारा शरीर रेस्ट मोड पर जा सकता है। ऐसे में आप अगर कॉफी पीते हैं, तो आपकी बॉडी को रेस्ट नहीं मिल पाएगा। साथ ही, इससे पाचन क्रिया को भी नुकसान हो सकता है। इसलिए शाम के 4 बजे के बाद कॉफी का सेवन नहीं करें।

कफ प्रकृति वाले लोग- कफ प्रकृति वाले लोग एक कप ब्लैक कॉफी का सेवन कर सकते हैं। इससे शरीर की भारीपन और तैलीय प्रकृति को शांत करने में मदद मिलेगी।

वात प्रकृति वाले लोग-वात गुणों को संतुलित करने के लिए इसमें इलायची या मिश्री जैसी ठंडी तासीर वाली चीजें डाल सकते हैं। इसमें आप थोड़ी-सी क्रीम और फुल फैट मिल्क मिला सकते हैं। इसे दिन में एक बार से ज्यादा नहीं पीना चाहिए।

पित्त लोग- यहां तक कि कोल्ड कॉफी को भी गर्म तासीर वाला पदार्थ माना जाता है। जो पित्त प्रकृति के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में आप शतावरी जैसी एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटियों वाला हर्बल काढ़ा पी सकते हैं।

इन तरीकों को ध्यान में रखकर आप कॉफी का सेवन कर सकते हैं।

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