कायम की मिसाल, दाहिना हाथ खोने के बाद डेढ़ महीने में बाएं हाथ से लिखना सीखा, पास की 10वीं परीक्षा

पश्चिम बंगाल के एक छात्र ने दूसरे छात्रों के लिए मिसाल कायम की है. नादिया जिले के 16 वर्षीय सुभाजीत बिश्वास ने पश्चिम बंगाल बोर्ड 10वीं की परीक्षा पास करेक मिसाल कायम की है. एक साइकिल एक्सीडेंट में लगी चोट और फिर कैंसर की वजह से अपना दाहिना हाथ खो देने वाले सुभाजीत ने सेकेंडरी परीक्षा 183 अंकों से पास कर ली है.

रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के 16 वर्षीय सुभाजीत बिश्वास ने पश्चिम बंगाल बोर्ड 10वीं की परीक्षा 183 अंकों से पास  करेक मिसाल कायम की है. बता दे कि सुभाजीत महज 10 साल के थे तो एक साइकिल दुर्घटना में दाहिना हाथ गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिसके बाद वह काफी दिन तक बीमार रहे. इसी दौरान अचानक उसी हाथ में कैंसर होने का पता चला. जिसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि उनका वह हाथ काटना पड़ेगा. सुभाजीत के परिजन उन्हें इलाज के लिए बेंगलुरु ले गए. लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते आखिरकार घर लौट आए. बाद मे कृष्णानगर के एक निजी अस्पताल में सर्जरी कर उनका दाहिना हाथ हटा दिया गया.

बता दे कि सुभाजीत के पिता कोलकाता में दिहाड़ी मजदूर हैं। जबकि मां लोगों के घरों में काम करती हैं. पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण सुभोजित अपनी मौसी के घर रहकर पढ़ाई करता है। हालांकि, एक हाथ खोने के बाद वह बेहद निराश हो गए थे। सुभोजीत का कहना है कि हाथ गंवाने के बाद वह काफी निराश और हताश हो गया था. लेकिन मेरे माता-पिता अपनी खराब आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना मेरे साथ खड़े रहे. उनकी अदम्य जिद ने सुभाजीत को प्रोत्साहित किया और उन्होंने परीक्षा देने का फैसला किया.

अपना दाहिना हाथ खोने के बाद सुभाजीत ने डेढ़ महीने की प्रैक्टिस के बाद बाएं हाथ से लिखना सीखा। ताकि वे माध्यमिक परीक्षा में शामिल हो सकें. हालांकि, सुभाजीत ने कहा कि उन्हें लग रहा था कि वह परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि जटिल सर्जरी, फिर अपना हाथ खोना और बाएं हाथ से लिखने का अभ्यास, सब कुछ इतना हुआ कि उन्हें पढ़ाई के लिए समय नहीं मिल सका। परीक्षा में पूछे गए सवाल भी काफी कठिन थे. लेकिन वह पास हो गया. जिससे वह और उनका परिवार सभी बेहद खुश हैं.

सुभाजीत का कहना है कि उन्हें इस सफलता तक परिवार के सहयोग और उनकी जीजिविषा ने पहुंचाया है. हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि अगर सरकार उनकी पढ़ाई और परिवार के लिए आर्थिक या कोई भी मदद करती है तो उन्हें व उनके परिवार को बहुत बड़ी राहत होगी.

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