कर्नाटक के अनुभवी नेता और पूर्व मंत्री डी बी चंद्रगौड़ा का मंगलवार की सुबह बीमारियों के कारण यहां मुदीगेरे तालुक के दरादाहल्ली में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे।उनके परिवार में पत्नी और चार बेटियां हैं।
गौड़ा परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए आज शाम तक मुदीगेरे में अद्यंताया रंगमंदिर में रखा जाएगा और उनका अंतिम संस्कार बुधवार को उनके पैतृक स्थान दरादाहल्ली में किए जाने की संभावना है।सभी चार सदनों – विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके गौड़ा विभिन्न राजनीतिक दलों जैसे कि प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, कर्नाटक क्रांति रंग, जनता पार्टी, जनता दल, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा भी रहे।
वह उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चिकमगलुरु निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 1978 में लोकसभा सांसद के रूप में इस्तीफा दे दिया था और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए काम किया था।पेशे से वकील गौड़ा 1971 में कांग्रेस के जरिए राजनीति में आए। वह तीन बार लोकसभा के और एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे।उन्होंने 1971 और 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चिकमगलुरु संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
इंदिरा गांधी के लिए सीट छोड़ने के बाद गौड़ा कांग्रेस की तरफ से 1978 से 1983 तक विधान परिषद सदस्य बने और देवराज उर्स मंत्रिमंडल में मंत्री बने।बाद में बदलते राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए उन्होंने उर्स के साथ कांग्रेस छोड़ दी और कर्नाटक क्रांति रंग में शामिल हो गए।गौड़ा तीन बार विधानसभा सदस्य रहे। उन्होंने दो बार तीर्थहल्ली निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी और एक बार कांग्रेस के टिकट पर श्रृंगेरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह एस एम कृष्णा सरकार में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री बने थे।
वह 1986 में जनता पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य बने। बाद में जनता पार्टी जनता दल बन गया था।उन्होंने 2009 में बेंगलुरु उत्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे।विभिन्न सरकारों में मंत्री पद पर रहे गौड़ा 1983 से 1985 तक राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे और विधानसभा तथा विधान परिषद दोनों में विपक्ष के नेता भी रहे।