कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गिरजाघर विस्फोट मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी को दो सप्ताह की पैरोल दी है।मोहम्मद अखिल जुलाई 2000 के बेंगलुरु गिरजाघर विस्फोट मामले के दोषियों में से एक है।दीनदार अंजुमन संप्रदाय से जुड़े 24 आरोपियों को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में हुए विस्फोटों का दोषी पाया गया था। अखिल, उम्रकैद की सजा पाने वाले 13 दोषियों में से एक है।अखिल की पत्नी मुबीन उन्नीसा बेगम ने एक याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने सुनवाई की।
अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, “दोषी, आज तक बिना किसी छूट के 23 साल की कैद काट चुका है और पूरे 23 वर्षों में उसे पैरोल नहीं मिली है। दोषी की पत्नी अब इस अदालत में अपने पति के लिए पैरोल की मांग कर रही है, वह बीमार है और इसलिए अनुरोध करती है कि परिवार में उसके पति की उपस्थिति आवश्यक है क्योंकि परिवार के अन्य सदस्य भी वृद्ध हैं और विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं।”याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जुलाई 2023 में मामले के एक अन्य दोषी को समन्वय पीठ ने पैरोल दी थी क्योंकि दोषी की मां बीमार थी।
समन्वय पीठ ने 1974 के एक मामले के आधार पर अपना फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि ‘अदालत को समान मामलों में एक जैसा व्यवहार करना चाहिए और यदि किसी वादी को राहत दी जाती है, तो इसे समान परिस्थिति वाले वादियों तक भी बढ़ाया जाना चाहिए।’उच्च न्यायालय ने अखिल को सात दिसंबर से 20 दिसंबर 2023 की शाम तक दो सप्ताह के लिए पैरोल पर रिहा करने की अनुमति दी।अखिल को राजद्रोह के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ ही विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी ठहराया या था।