झारखंड उच्च न्यायालय ने विभिन्न चिट-फंड कंपनियों में लोगों द्वारा निवेश किए गए धन की वापसी सुनिश्चित करने के मकसद से एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के लिए राज्य सरकार को 45 दिन की समय सीमा दी है। मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने गैर-बैंकिंग अभिरक्षा सुरक्षा समिति द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को निर्धारित समय सीमा के भीतर एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की जानकारी देने वाली अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय का कोई पूर्व मुख्य न्यायाधीश करेगा।
अदालत ने सोमवार को दिए अपने आदेश में कहा कि समिति के अन्य सदस्यों में राजस्व बोर्ड का सचिव और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक का एक अधिकारी शामिल होगा। समिति इस संबंध में योजना बनाना शुरू करेगी कि उन निवेशकों को धन की वापसी कैसे सुनिश्चित की जाए, जिन्हें सीबीआई की जांच के दायरे में शामिल विभिन्न चिट-फंड कंपनियों ने धोखा दिया।
अदालत इस मामले पर आठ नवंबर को आगे की सुनवाई करेगी। इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसमें अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के एक पुलिस महानिरीक्षक और छह अन्य सदस्यों के साथ इसी तरह की एक समिति बनाने की पेशकश की गई थी।अदालत को पहले सूचित किया गया था कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने चिट फंड कंपनियों के पास जमा धन जब्त कर लिया है और यह विभिन्न बैंकों में पड़ा हुआ है।