जयराम रमेश के द्वारा लगाए गए आरोप पर आयोग ने उन्हें रविवार को नोटिस भेजते हुए कहा था, “आचार संहिता के दौरान सभी अधिकारियों को चुनाव आयोग को रिपोर्ट करना होता है और वो सिर्फ चुनाव आयोग के आदेश पर काम करते हैं. जो आरोप आपने लगाए हैं वैसी कोई रिपोर्ट किसी भी जिलाधिकारी ने नहीं की है. मतगणना की प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण है और पब्लिक में दिए गए आपके बयान संदेह पैदा कर रहे हैं. पब्लिक के हित के लिए इन पर संज्ञान लेना बहुत ज़रूरी है.”
नोटिस के जवाब में Jairam Ramesh ने एक हफ़्ते का समय मांगा था.
लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश की इस अपील को सोमवार को ख़ारिज करते हुए कहा कि ‘वो अपने अरोपों के पक्ष में सबूत या आंकड़े पेश करें और आज जवाब दें.’
आयोग के अनुसार, “अगर जवाब नहीं मिला तो माना जाएगा कि मामले में कहने के लिए आपके पास कुछ ठोस नहीं है और आयोग उपयुक्त एक्शन लेने के लिए आगे की कार्रवाई करेगा.”
इसमें चुनाव आयोग ने जयराम रमेश के आरोपों को पूरी तरह ख़ारिज़ किया है और कहा है कि किसी भी डीएम पर ग़लत दबाव डालने की कोई कोशिश प्रकाश में नहीं आई है.
जयराम रमेश का आरोप
जयराम रमेश ने शनिवार शाम को एक्स पोस्ट में दावा किया था, “निवर्तमान गृह मंत्री आज सुबह से ज़िला कलेक्टर्स से फ़ोन पर बात कर रहे हैं. अब तक 150 अफ़सरों से बात हो चुकी है. अफ़सरों को इस तरह से खुल्लम खुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है.”
उन्होंने लिखा, “यह याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं. जून 4 को जनादेश के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे एवं इंडिया गठबंधन विजयी होगा. अफ़सरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए. वे निगरानी में हैं.”
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