उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के तहत देवदार के पेड़ों को काटने के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लेते हुए इस पर रोक लगा दी है।जागेश्वर में मास्टर प्लान के तहत हो रहे सड़क चौड़ीकरण के लिए करीब 1000 देवदार के पेड़ों को काटने की तैयारी शुरू की गई थी। लोक निर्माण विभाग ने चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों का चिन्हित करना शुरू भी कर दिया था। जिसके बाद क्षेत्र के लोग इसके विरोध में उतर आए।
लोगों ने कहा कि आस्था से जुड़े दारूक वन में खड़े इन पेड़ों की वे पूजा करते हैं। सोशल मीडिया में ये मुद्दा बेहद गर्मा गया और चिपको आंदोलन की ही तरह जागेश्वर में भी पेड़ बचाओ आंदोलन शुरू करते हुए तमाम लोगो ने पेड़ो से चिपक कर कटान का विरोध किया।जागेश्वर के पूर्व प्रधान ने भी सोशल मीडिया में सीएम धामी सहित तमाम नेताओं और जिम्मेदारों को टैग करते हुए पेड़ों को बचाने का आह्वान किया था जिसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक इस आंदोलन की आवाज पहुंची।
धामी ने मंगलवार को मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि पेड़ों को नहीं काटा जाएगा। देवदार के पेंड़ जागेश्वर धाम और शिव आस्था का मुद्दा है इसके लिए पुनः सर्वे करवाया जायेगा।आपको बता दें कि जागेश्वर धाम देवदार के जंगल के बीच स्थित है। इसे दारूक वन के नाम से भी पहचान मिली है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यही दारुक वन भगवान शिव का निवास स्थान है। धाम के विकास के लिए मास्टर प्लान को धरातल पर उतारा जा रहा है।
मास्टर प्लान के तहत आरतोला से जागेश्वर तक तीन किमी सड़क का चौड़ीकरण होना है। टू-लेन सड़क बनाने के लिए इसकी जद में आ रहे 1000 से अधिक देवदार के पेड़ों का कटान होना था। जिसके बाद स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने सोमवार को बैठक कर कहा था कि यहां स्थित देवदार के पेड़ों को शिव-पार्वती, गणेश, पांडव वृक्ष के रूप में पूजा जाता है।