इसरो ने सोमवार को वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के चौथे चरण को दो बार सफलतापूर्वक अंजाम दिया।सोमवार सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर 44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी रॉकेट ने पहले ‘लॉन्च पैड’ से उड़ान भरने के 21 मिनट बाद प्राथमिक उपग्रह ‘एक्सपोसैट’ को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित कर दिया।
बाद में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए ऊंचाई को 650 किलोमीटर से घटाकर 350 किलोमीटर करने के लिए पीएसएलवी रॉकेट के चौथे चरण की कवायद को दो बार अंजाम दिया, जिसमें ‘पीएसएलवी कक्षीय प्रयोग मॉड्यूल-3’ (पोइम) सहित विभिन्न इसरो केंद्रों के 10 अन्य उपकरण पृथ्वी की निचली कक्षा में अपना काम करेंगे।आज के सफल मिशन के लिए इस्तेमाल किया गया रॉकेट पीएसएलवी-डीएल संस्करण था, जिसका उत्थापन द्रव्यमान 260 टन है। चौथे चरण को प्रयोगों के संचालन के लिए ‘3-अक्ष स्थिर कक्षीय मंच’ के रूप में व्यवस्थित किया गया है।
अंतरिक्ष एजेंसी ने अप्रैल 2023 में पीएसएलवी-सी55 मिशन में ‘पोइम-2’ का उपयोग करके ऐसा ही एक और वैज्ञानिक प्रयोग किया था।चौथे चरण के कक्षीय मंच की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति 50 एएच ली-आयन बैटरी के साथ सौर पैनल से होती है।इसरो ने कहा कि कक्षीय मंच (पीएस4) में दिशा-निर्देशन, मार्गदर्शन, नियंत्रण और दूरसंचार कमान के लिए हवाई प्रणाली तथा उपकरण परीक्षण नियंत्रण संबंधी प्रणाली शामिल है।
संबंधित 10 उपकरणों (पेलोड) में टेकमी2स्पेस का ‘रेडिएशन शील्डिंग एक्पेरीमेंट मॉड्यूल’, एलबीएस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी फॉर वुमेन का ‘वुमन इंजीनियर सैटेलाइट’, के जे सोमैया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा निर्मित ‘बिलीफसैट’ (अमेच्योर रेडियो सैटेलाइट), इंस्पेसिटी स्पेस लैब्स प्राइवेट लिमिटेड का ‘ग्रीन इंपल्स ट्रांसमिटर’, ध्रुव स्पेस प्राइवेट लिमिटेड का ‘लांचिंग एक्सपेडिशंस फॉर एस्पायरिंग टैक्नोलॉजीज टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर’, बेलेट्रिक्स एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित ‘रुद्र 0.3एचपीजीपी’ और ‘एर्का 200’, पीआरएल, इसरो का ‘डस्ट एक्सपेरिमेंट’ (डीईएक्स) तथा विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र द्वारा निर्मित ‘फ्यूल सेल पावर सिस्टम’ एवं ‘हाई एनर्जी सेल’ हैं।