हीमोफीलिया रक्त संबंधी एक गंभीर बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर जीन में बदलाव के कारण होती है और इसके कारण शरीर में खून का थक्का ठीक से नहीं बन पाता है। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर में लगातार घाव बनते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी रहता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्या हीमोफीलिया के कारण हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा होता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
क्या हीमोफीलिया के कारण हार्ट डिजीज हो सकती है?-
हीमोफीलिया ब्लड से जुड़ी गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में थ्रोम्बस फॉर्मेशन की कमी के कारण हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जेनेटिक कारणों से होने वाली इस बीमारी में हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा आमतौर पर कई गुना ज्यादा रहता है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, “हीमोफीलिया व्यक्ति के जीन में होने वाले बदलाव के कारण होता है। इस बीमारी में हार्ट डिजीज का रिस्क सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा रहता है। ऐसे लोग जो हीमोफीलिया में स्मोकिंग करते हैं, डायबिटीज के मरीज हैं या शराब का सेवन करते हैं, उन्हें हार्ट की बीमारियों का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है।”
हीमोफीलिया में ब्लीडिंग बढ़ने के कारण उपचार बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हीमोफीलिया के मरीजों में वायरल हार्ट डिजीज, अर्थरोस्क्लेरोसिस, मायोकार्डियल इन्फार्कशन समेत कई गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है। इसलिए ही हेमओफिलिया के मरीजों को हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लक्षणों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।
हीमोफीलिया में हार्ट डिजीज से बचाव के टिप्स
हीमोफीलिया के मरीज अगर डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखें, तो हार्ट से जुड़ी बीमारियों का शिकार होने से बच सकते हैं। इस बीमारी में हार्ट डिजीज से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. नियमित व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम और योग का अभ्यास करने से ब्लड फ्लो बढ़ता है और हार्ट के स्वास्थ्य में सुधार होता है। हीमोफीलिया में मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेकर नियमित रूप से व्यायाम जरूर करना चाहिए।
2. हेल्दी डाइट: हेल्दी और पौष्टिक डाइट का सेवन करने से शरीर और हार्ट को हेल्दी रखने वाले पोषक तत्व मिलते हैं। इससे हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
3. रेगुलर चेकअप: हीमोफीलिया के मरीजों को रेगुलर चेकअप जरूर कराना चाहिए। जांच कराने से हार्ट में होने वाली संभावित समस्याओं का पता लगाने और इसे रोकने में मदद मिलती है।
4. स्मोकिंग और नशीले पदार्थों से दूरी: सिगरेट, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने से हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हीमोफीलिया के मरीजों को इनसे दूरी बना लेनी चाहिए।
5. स्ट्रेस मैनेजमेंट: स्ट्रेस की वजह से भी हार्ट की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसे कम करने के लिए रोजाना योग, मेडिटेशन और व्यायाम का अभ्यास करना चाहिए।
रोजाना एक्सरसाइज करने और तंबाकू, शराब का सेवन बंद करने से हार्ट अटैक का जोखिम कम होता है। इसके अलावा हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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