54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में जूरी के अध्यक्ष व प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने सोमवार को कहा कि भारत की अद्वितीय सामग्री और तकनीकी कौशल वैश्विक सिनेमा को समृद्ध बनाती है। शेखर ने कहा कि भारत में सामग्री और प्रौद्योगिकी सबसे बड़ा वैश्विक आधार है और आईएफएफआई जैसे महोत्सव बाकी दुनिया को भारत की संस्कृति को समझने में मदद करते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि चयन समिति ने फिल्मों का उल्लेखनीय विश्लेषण किया है। भारत में फिल्म निर्माण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग पर उन्होंने कहा कि रचनात्मक कार्यों के लिए कोई अंतिम अधिकार निर्धारित नहीं होता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय जूरी सदस्यों (आईएफएफआई) ने गोवा में आयोजित 54वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में गोल्डन पीकॉक पुरस्कार के लिए नामांकित फिल्मों को देखने के बाद अपने गहन अनुभव और अंतर्दृष्टि साझा की। पूरी दुनिया के प्रख्यात फिल्म निर्माताओं, जूरी के सदस्यों ने रविवार को इस महोत्सव के समापन समारोह में ‘अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता’ और घोषित एवं प्रदान किए जाने वाले पुरस्कारों पर विचार-विमर्श किया।
जूरी ने सर्वसम्मति से कहा कि अंतरराष्ट्रीय जूरी का हिस्सा बनना और कहानियों की विविधता और सम्मोहक सूची से चयन करना उनको एक महान व्यक्तिगत होने का अनुभव प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि प्राप्त प्रविष्टियों और चयन की विविधता को देखते हुए आईएफएफआई ने अपनी स्थापना के बाद से बहुत जबरदस्त विकास किया है।
सहयोग को सुविधाजनक बनाने में फिल्म समारोहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बलदेते हुए, जेरोम पैलार्ड ने कहा कि विविध फिल्मों की खोज करना और सहयोग के लिए नेटवर्किंग करना किसी भी फिल्म महोत्सव में शामिल होने का सबसे बड़ा लाभ है। प्रभावशाली साझेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए फिल्म बाजार जैसी पहलों की सराहना करते हुए,
जेरोम ने कहा कि फिल्म बाजार जैसी मार्केटिंग पहल सहयोगी परियोजनाओं के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देती है। उन्होंने क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमारो (सीएमओटी) पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह फिल्म निर्माण में युवा प्रतिभाओं को पोषित करने के लिए एक अद्भुत पहल है।
कैथरीन डुसार्ट ने जेरोम की भावनाओं का समर्थन करते हुए प्रतिस्पर्धा में फिल्मों की व्यापकता और वितरकों और निर्माताओं को जोड़ने में फिल्म बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। हेलेन लीक ने अलग-अलग फिल्म उद्योगों को एकजुट करने वाले इस महोत्सव की भूमिका पर प्रकाश डाला। आईएफएफआई के विशाल मंच के माध्यम से भारतीय सिनेमा की बढ़ती वैश्विक मान्यता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आईएफएफआई के माध्यम से विभिन्न फिल्म उद्योगों की साझेदारी जुड़ी हुई है और इस महोत्सव के माध्यम से पूरी दुनिया में भारतीय फिल्मों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है।
लुइ अल्काइन ने कहा कि विविध कहानियों, संस्कृतियों और शैलियों की फिल्मों को देखना और उसे जज करना एक शानदार अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि महोत्सव स्थलों पर दर्शकों की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व थी।जूरी ने महोत्सव के आतिथ्य की गर्मजोशी और उदारता की प्रशंसा की और उनके अनुभव में इसके अमूल्य योगदान को स्वीकार किया।अंतरराष्ट्रीय जूरी प्रतिष्ठित सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार के विजेता का चयन करेगी जिसमें ‘गोल्डन पीकॉक’ और निर्देशक और निर्माता के लिए प्रमाणपत्र शामिल हैं।
सर्वश्रेष्ठ फिल्म के अलावा, जूरी सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) और विशेष जूरी पुरस्कार श्रेणियों में विजेताओं की घोषणा करेगी। आईएफएफआई 54 में,‘अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता’ महत्वपूर्ण शैलियों की 15 प्रशंसित फीचर फिल्मों का चयन किया गया, जो फिल्म निर्माण में उभरते रुझानों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस वर्ष महोत्सव को 105 देशों से रिकॉर्ड तोड़ 2926 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं।