भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्यों से लंबे समय से लंबित सार्वजनिक खाद्य भंडारण मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने का आह्वान करते हुए कहा है कि यह सीधे तौर पर वर्ष 2030 तक ‘शून्य भुखमरी’ के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने से संबंधित है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन को जलवायु परिवर्तन, लैंगिग और श्रम जैसे गैर-व्यापार-संबंधित विषयों के नियमों पर बातचीत नहीं करनी चाहिए, बल्कि इन्हें संबंधित अंतर-सरकारी संगठनों में हल किया जाना चाहिए।गोयल ने कहा, ”मैं इस बात पर फिर से जोर देता हूं कि खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक भंडारण (पीएसएच) पर स्थायी समाधान के बिना विकास एजेंडा अधूरा रहेगा, जो सीधे तौर पर 2030 तक शून्य भुखमरी के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने से संबंधित है।”
यह पिछले कुछ दशकों से लंबे समय से लंबित मुद्दा बना हुआ है और अतीत में सदस्यों द्वारा स्पष्ट जनादेश पर सहमति होने के बावजूद पीएसएच पर स्थायी समाधान ढूंढना एक अधूरा एजेंडा बना हुआ है जिस पर हमें एमसी13 में काम करना है।डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों के व्यापार मंत्री 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) के लिए अबू धाबी में एकत्र हो रहे हैं। सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने 26 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात में चार दिन की बैठक शुरू की।
पीएसएच कार्यक्रम एक नीति माध्यम है जिसके तहत सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से चावल और गेहूं जैसी फसलें खरीदती है तथा खाद्यान्न का भंडारण और गरीबों को वितरण करती है।वैश्विक व्यापार मानदंडों के तहत, डब्ल्यूटीओ सदस्य देश का खाद्य सब्सिडी खर्च 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत तक की सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है।एक अंतरिम उपाय के रूप में दिसंबर, 2013 में बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में डब्ल्यूटीओ के सदस्य एक तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए थे जिसे लोकप्रिय रूप से शांति खंड कहा जाता है और स्थायी समाधान के लिए एक समझौते पर बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध थे।शांति खंड के तहत विश्व व्यापार संगठन के सदस्य डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान मंच पर विकासशील राष्ट्र द्वारा निर्धारित सीमा के किसी भी उल्लंघन को चुनौती देने से परहेज करने पर सहमत हुए। यह प्रावधान तबतक रहेगा जब तक खाद्य भंडारण की समस्या का स्थायी समाधान नहीं मिल जाता।