संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने कहा कि अपनी अध्यक्षता में जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ को शामिल करने की भारत की पहल सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे ”बहुत ज्यादा पुराने” संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समकालीन बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
कम्बोज ने बुधवार को सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतरसरकारी वार्ता में कहा कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ इस साल सितंबर में नयी दिल्ली में हुए शिखर सम्मेलन में जी20 का स्थायी सदस्य बन गया। उन्होंने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने से यह सुनिश्चित हुआ है कि ”वैश्विक शासन और निर्णय निर्धारण के प्रभावशाली संस्थान में ‘ग्लोबल साउथ’ की महत्वपूर्ण आवाज जुड़े।” ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
भारतीय राजदूत ने कहा, ”सुधार की दिशा में इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को भी समकालीन बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए। व्यापक प्रतिनिधित्व आखिरकार, प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों के लिए एक शर्त है।” उन्होंने कहा कि यह भारत का दृढ़ विश्वास है कि जी20 में अफ्रीका की पूर्ण भागीदारी से यह समूह सही मायने में अधिक प्रतिनिधित्व वाला और प्रासंगिक संस्थान बनेगा।
कम्बोज ने कहा कि सितंबर 2024 में होने वाला ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति ”हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने और सुरक्षा परिषद समेत महासभा में सुधार पर केंद्रित चार्टर की समीक्षा” का एक ”स्वर्णिम अवसर” उपलब्ध कराता है। उन्होंने याद किया कि इस साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र के दौरान 85 से अधिक वैश्विक नेताओं ने महासभा से व्यापक और सार्थक सुधारों की मांग की। गौरतलब है कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है।