कई लोगों में हड्डियों और जोड़ों के दर्द की समस्या देखी जाती है, जो काफी कष्टकारी और दर्दनाक हो सकती है। हड्डियों और जोड़ों के दर्द के कारण व्यक्ति को चलने, बैठने या काम करने में दिक्कत होती है। हड्डी का दर्द आमतौर पर हड्डी टूटने, चोट लगने या हड्डी के घनत्व के कारण होता है। लेकिन जोड़ों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। देखा जाए, तो हड्डियों का दर्द, जोड़ों के दर्द की तुलना में कम पाया जाता है। इनमें से कुछ समस्याओं के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है और कुछ समस्याएं दवाओं से ठीक हो जाती हैं। आइए हम आपको बताते हैं हड्डियों व जोड़ो में दर्द के कारण, लक्षण व इलाज।
हड्डियों में दर्द का कारण
हड्डियों के दर्द का कारणः हड्डियों का दर्द चोट या दूसरी परिस्थितियों के कारण होता है, जैसे-
- बोन कैंसर(प्राथमिक मैलिग्नेंसी) या वह कैंसर जो हड्डियों तक फैल चुका हो(मेटास्टेटिक मैलिग्नेंसी)
- हड्डियों को रक्त की आपूर्ति में अवरोध(जैसा कि सिकल सेल एनीमिया में होता है)
- हड्डियों में संक्रमण(ऑस्टियोमायलिटिस)
- ल्यूकेमिया(रक्त कैंसर)
- हड्डियों में खनिज की कमी(ऑस्टियोपोरोसिस)
- अधिक श्रम
- जिन बच्चों ने अभी चलना सीखा हो, उनकी हड्डियां टूटना।
जोड़ों के दर्द के कारण
ज्वाइंट पेन या जोड़ों का दर्द चोट या अन्य कारणों से हो सकता है, जैसे-
- अर्थराइटिस-ऑस्टियोअर्थाराइटिस, रयूमेटॉयड अर्थाराइटिस
- एसेप्टिक नेक्रोसिस
- बर्साइटिस
- ऑस्टियोकोंड्राइटिस
- सिकल सेल रोग(सिकल सेल एनीमिया)
- स्टेरॉयड ड्रग विदड्राअल
- कार्टिलेज फटना
- जोड़ों का संक्रमण
- हड्डी टूटना
- मोच
- ट्यूमर
- टेंडिनाइटिस
लक्षण
हड्डियों और जोड़ों के दर्द के लक्षण हैं-
- चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द
- सूजन और क्रेपिटस
- चलने पर या गति करते समय जोड़ों का लॉक हो जाना
- जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन रह सकता है
- मरोड़
- वेस्टिंग और फेसिकुलेशन
- अगर बुखार, थकान और वजन घटने जैसे लक्षण हों, तो कोई गंभीर अंदरूनी या संक्रामक बीमारी हो सकती है। आपको डॉक्टर से बात करना चाहिए।
जांच और रोग की पहचान
डॉक्टर रोग की पहचान करने के लिए आपके चिकित्सकीय इतिहास के विषय में पूछेगें औऱ शारीरिक जांच करेगें। चिकित्सकीय इतिहास में दर्द की जगह, दर्द के समय और पैटर्न औऱ किसी भी अन्य संबंधित तथ्य से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं। इनमें से कोई एक या अधिक जांच किये जा सकते हैं-
- रक्त का अध्ययन(जैसे-सीबीसी, ब्लड डिफेरेंशियल)
- हड्डियों औऱ जोड़ो का एक्स रे, जिसमें हड्डियों का एक स्कैन शामिल है
- हड्डियों औऱ जोड़ो का सीटी या एमआरआई स्कैन
- होर्मोन के स्तर का अध्ययन
- पिट्यूटरी औऱ एड्रीनल ग्रंथि की कार्यक्षमता का अध्ययन
- यूरीन का अध्ययन
उपचार
जोड़ों के दर्द को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। अगर आपकी समस्या उग्र या साधारण है, आप ओटीसी दर्दनिवारकों का उपयोग कर सकती हैं। लेकिन अगर आपका दर्द लगातार बना हुआ है या किसी चोट या कटने या सर्जरी के बाद शुरू हुआ है, तो डॉक्टर से मिलें।
आराम करना औऱ गर्म सेंक देनाः साधारण चोट या मोच में आराम और सामान्य दर्दनिवारकों(जैसे-पारासिटामोल, आइब्यूप्रोफेन) या गर्म सेंक के उपयोग से दर्द से राहत पाने में सहायता मिलती है।
व्यायामः सामान्य हल्के व्यायाम अर्थाराइटिस या फाइब्रोमाइल्जिया के रोगियों में जोड़ों की गतिशीलता बढाने, दर्द घटाने औऱ दुखती, कड़ी मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करते हैं। अगर ये उपाय आपको राहत नहीं दे पाते तो डॉक्टर से मिलें। दवाएं-एसिटामिनोफेन, एस्पिरीन, एनएसएआईडी(आइब्यूप्रोफेन, नैप्रोक्सेन, मेफेनेमिक एसिड) दर्द से राहत दिलाने में बहुत प्रभावकारी हैं। क्रॉनिक या दीर्घकालिक दर्द की स्थिति में एनएसएआईडी उतना प्रभावकारी नहीं है औऱ उससे साइड इफैक्ट उत्पन्न कर सकता है।